मंगलवार, 22 फ़रवरी 2022

*परस जी खाती*

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🙏🇮🇳 *卐सत्यराम सा卐* 🇮🇳🙏
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*जहँ सेवक तहँ साहिब बैठा, सेवक सेवा मांहि ।*
*दादू सांई सब करै, कोई जानै नांहि ॥*
*(#श्रीदादूवाणी ~ परिचय का अंग)*
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*सौजन्य ~ #भक्तमाल*, *रचनाकार ~ स्वामी राघवदास जी,*
*टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान*
*साभार ~ श्री दादू दयालु महासभा*, *साभार विद्युत संस्करण ~ रमा लाठ*
*मार्गदर्शक ~ @Mahamandleshwar Purushotam Swami*
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*परस जी खाती*
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*मूल छप्पय –*
*मरुधर कलरू गांव, परस जहँ प्रभु को प्यारो ।*
*सतवादी सुतार, कर्म कलियुग तैं न्यारो ॥*
*ता बदलै तन धारि, राम रथ-चक्र सुधारयो् ।*
*इकलग पूठी एक, बिना शल तबै विचारयो्॥*
*परस गयो जहँ भूपति,*
*चित सु चकित चरणों नयो ।*
*राघव समर्थ रामजी,*
*भक्ति करत यूं वश भयो ॥२१६॥*
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मारवाड़ में जहां कलरू ग्राम है, वहां ही भक्त परसजी खाती हुये हैं । आप सत्यवादी थे, कलियुग के कर्मों से अलग ही रहते थे ।
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उस देश(मेड़ता) के राजा जैमल जोधपुर जा रहे थे । रथ का पैड़ा खराब हो गया था । राजा ने सुधारने के लिये आपको बुलाया था । किन्तु आप को संत सेवादि में लगे रहने से देर हो गई । तब परसजी का शरीर धारण करके राजा के रथ का पैड़ा रामजी ने सुधारा था । आपने पैड़े के इकसार कील पत्तीरहित एक ही पूठी ऐसी लगाईं थी कि उसमें जोड़ कहीं भी नहीं था । उसे देखकर विचार होता था कि यह कैसे बैठाई गई है ।
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साधु-सेवा, भगवद् सेवादि से निवृत्त होकर परसजी जहां राजा थे वहां गये और देर होने के लिये क्षमा याचना करने लगे । राजा ने कहा – अभी तो तुम काम करके गये ही थे फिर क्षमा किस बात की । परसजी ने कहा – मैं तो अभी आया हूं, संत भगवान् की सेवा में था ।
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तब रथ चक्र सुधारना भगवान् की लीला जानकर राजा ने चकित चित्त हो परसजी के चरणों में शिर नमाया और परसजी ने चकित चित्त हो रामजी के चरणों में शिर नमाया । परसजी ने भगवद् भक्ति की थी । इस कारण से ही समर्थ रामजी इस प्रकार परसजी के वश में हो गये थे ।
(क्रमशः)

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