सोमवार, 21 फ़रवरी 2022

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🌷 *#०दृष्टान्त०सुधा०सिन्धु* 🌷
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*सतगुरु पसु मानस करै, मानस थैं सिध सोइ ।*
*दादू सिध थैं देवता, देव निरंजन होइ ॥*
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साभार विद्युत् संस्करण ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
साभार ~ ### स्वामी श्री नारायणदासजी महाराज, पुष्कर, अजमेर ###
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श्री दृष्टान्त सुधा - सिन्धु --- *॥गुरु भक्ति॥*
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*॥ गुरु भक्ति बिना प्रभु ज्ञान नहीं होता ॥*
*ब्रम्ह रूप गुरु को समझ, करता जो अनुरक्ति ।*
*श्रेष्ठ संत जन कहत हैं, उसको ही गुरु भक्ति ॥२२९॥*
सुगुरु भक्ति बिन हो नहीं, साक्षात प्रभु ज्ञान ।
मिली सुई गुरु भक्त को, फिरे अन्य अनजान ॥२३०॥
दृष्टांत कथा - एक गुरु के कई शिष्य थे । उनमें एक की बुद्धि तो तीव्र न थी किन्तु गुरु भक्त था । दूसरे सब बुद्धिमान होने से उसकी हँसी किया करते थे । एक दिन परीक्षा के निमित गुरु ने अपने सब शिष्यों से क्रम-क्रम से कहा - 'इस घर में सूई रक्खी है ले आओ । एक-एक करके सभी शिष्य खोज आये किन्तु सूई नहीं मिली । 
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अन्त में अल्प बुद्धि गुरु भक्त को आज्ञा दी । गुरु भक्ति के प्रताप से जहां सूई गडी थी उस स्थान का उसे ठीक ठीक ज्ञान हो गया और वह सूई निकाल लाया । इसी प्रकार गुरु भक्त को ही अन्त: स्थित परमात्मा का साक्षात होता है और जो गुरु भक्त नहीं होते उन्हें वास्तव ज्ञान तथा परमात्मा का साक्षात नहीं होता ।

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