शनिवार, 19 फ़रवरी 2022

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*दादू हौं बलिहारी सुरति की, सबकी करै सँभाल ।*
*कीड़ी कुंजर पलक में, करता है प्रतिपाल ॥*
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साभार विद्युत् संस्करण ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
साभार ~ ### स्वामी श्री नारायणदासजी महाराज, पुष्कर, अजमेर ###
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श्री दृष्टान्त सुधा - सिन्धु --- *॥भेष भक्ति॥*
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*॥ भेष पर पक्षी भी श्रद्धा करते हैं ॥*
श्रद्धा करते भेष पर, पक्षी अद्भुत रीति ।
साधु भेष लख बँध गये, हंस सहज सह प्रीति ॥२२८॥
दृष्टांत कथा - एक राजा के कोढ़ होगया, बहुत इलाज करने पर भी जब अच्छा नहीं हुआ तब वैद्यों ने कहा - 'यदि हंस पक्षी लाये जांय तो अच्छे हो सकते हो । राजा ने हंसों को पकड़ने के लिये व्याधों को मान सरोवर पर भेजा । जब किसी भी प्रकार हंस व्याधों के हाथ नहीं आये तब व्याधों ने साधु भेष बनाया । हंसों ने साधु भेष पर विश्वास किया इससे पकडे गये और राजा के पास लाये गये ।
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भगवान् ने यह सोच कर कि हंसों ने मेरे भक्तों के भेष का विश्वास किया है, इस किये उन्हें अवश्य छुडाना चाहिये, वैद्य का स्वरूप धारण किया और राजा के पास जाकर कहा - 'तुम इन पक्षियों को शीघ्र छोड़ दो, मेरी दवा से तुम अभी अच्छे हो जाओगे । दवा लगाते ही राजा अच्छा हो गया । हंसों को छोड दिया गया ।
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फिर राजा ने वैद्य को धन राज्य आदि देना चाहा किन्तु वैद्य ने कुछ भी नहीं लेते हुये कहा - 'ये तो सब हमारे ही हैं, अब तुम भगवत् भक्ति और साधु सेवा में मन लगा कर मनुष्य जन्म को सफल करो ।' भगवत् के उपदेश से वह राजा भी भक्त बन गया तथा अपने देश में भी भक्ति का भारी प्रचार किया । इससे सूचित होता है कि भेष पर पक्षी भी विश्वास करते हैं और भगवान् भी भेष की लाज रखते हैं ।
(क्रमशः)

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