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*पर उपकारी संत जन, साहिब जी तेरे ।*
*जाती देखी आतमा, राम कहि टेरे ॥*
*(#श्रीदादूवाणी ~ साधु का अंग)*
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*सौजन्य ~ #भक्तमाल*, *रचनाकार ~ स्वामी राघवदास जी,*
*टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान*
*साभार ~ श्री दादू दयालु महासभा*, *साभार विद्युत संस्करण ~ रमा लाठ*
*मार्गदर्शक ~ @Mahamandleshwar Purushotam Swami*
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*मूल छप्पय –*
*ज्ञानदेव गंभीर चित,*
*विष्णु स्वामि की संप्रदा ॥*
*नामदेव नवखंड, नाम नौबत सु बजाई ।*
*हरिदास हु जयदेव, भक्ति की रीति बढ़ाई ॥*
*तिलोचन करि प्रीति, आप केशव वश कीन्हौं ।*
*मिश्र नरायण दास, छाप लाहौरी चीन्हौं ॥*
*याही में वल्लभ भये,*
*हिरदै में भगवत सदा ।*
*ज्ञानदेव गंभीर चित,*
*विष्णु स्वामि की संप्रदा ॥२२५॥*
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विष्णु स्वामी संप्रदाय में हुये प्रसिद्ध संतों के नामों का परिचय दे रहे हैं – १. गंभीर मन वाले ज्ञान देवजी । २. नवों खंड़ों में भगवन्नाम की नौबत बजाने वाले नाम देवजी । ३. हरिदासजी और ४. जयदेवजी ने भी भक्ति की रीति भली प्रकार बढाई थी । ५. जिनने प्रेमा भक्ति करके भगवान् केशव को अपने वश किया था वे तिलोचनजी । ६. जिनकी छाप लाहौरी प्रसिद्ध है, वे मिश्र नारायणदासजी । और ७. जिनके हृदय में सदा भगवान् रहते थे वे वल्लभाचार्य भी इसी संप्रदाय में हुये हैं ।
(क्रमशः)

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