शुक्रवार, 22 अप्रैल 2022

*बाल भयो तब नाम सु देव हि*

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🙏🇮🇳 *卐सत्यराम सा卐* 🇮🇳🙏
🌷🙏🇮🇳 *#भक्तमाल* 🇮🇳🙏🌷
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*दादू रीझै राम पर, अनत न रीझै मन ।*
*मीठा भावै एक रस, दादू सोई जन ॥*
*(#श्रीदादूवाणी ~ निष्काम पतिव्रता का अंग)*
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*सौजन्य ~ #भक्तमाल*, *रचनाकार ~ स्वामी राघवदास जी,*
*टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान*
*साभार ~ श्री दादू दयालु महासभा*, *साभार विद्युत संस्करण ~ रमा लाठ*
*मार्गदर्शक ~ @Mahamandleshwar Purushotam Swami*
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*भो१ गरभादिक बात करै सब,* 
*साखत२ लोगन के चित भाई ।*
*कान परी यह वाम सु देव हि,* 
*ठीक करी हरि की किरपाई ॥*
*बाल भयो तब नाम सु देव हि,* 
*राय३ हुतो सब देत बधाई ।*
*होत बड़ो हरि से हित लागत,* 
*रीति जगत्त हु नांहि सुहाई ॥२१५॥*
जब गर्भ रह गया१ तब गर्भ से आदि ओर भी गर्भ के चिन्ह होते हैं, वे सब प्रत्यक्ष जान पड़ने लगे । फिर तो दुष्ट२ लोगों के मन भाई बात हो गई । कारण – वे तो निन्दा करने के लिये दोष खोजते ही रहते हैं । वे इधर-उधर बातें करने लगे ।
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बात चलते-चलते भक्त वामदेव के कान में भी पहुँच गई । तब वामदेव ने एकान्त में गोणाई को पूछा – यह क्या बात है ? उसने भगवान् के दर्शन देने और कृपा पूर्वक इच्छा पूर्ण करने की बात सत्य-सत्य सब कहदी । वामदेव सुनकर अति हर्षित होते हुये बोले – तो ठीक है । यह हरि की महान् कृपा ही है । उसी रात को भगवान् ने भक्त वामदेव को भी स्वप्न में कहा – तुम्हारी पुत्री ने जो बात कही है, सो सब सत्य है । हमने उस अंगीकार किया है ।
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प्रसवकाल पूर्ण होने पर वि. स. १३२७ कार्तिक शु. १ रविवार को सूर्योदय के समय अनुपम बालक का जन्म हुआ । भक्त वामदेव ने बालक का नाम ‘नामदेव’ रक्खा और मन माना उत्सव करके घर के द्रव्य३ को जो लेने के अधिकारी थे उन सब को बधाई के रूप में इच्छानुसार बाँटा ।
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बालक कुछ बड़ा हुआ तब उसका हरि से प्रेम हो गया । उसे सांसारिक रीति अच्छी नहीं लगती थी ।
(क्रमशः)

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