बुधवार, 11 मई 2022

*साधु दुखावन को फल ली है*

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🙏🇮🇳 *卐सत्यराम सा卐* 🇮🇳🙏
🌷🙏🇮🇳 *#भक्तमाल* 🇮🇳🙏🌷
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*दादू बहुत बुरा किया, तुम्हें न करना रोष ।*
*साहिब समाई का धनी, बन्दे को सब दोष ॥*
*(#श्रीदादूवाणी ~ विनती का अंग)*
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*सौजन्य ~ #भक्तमाल*, *रचनाकार ~ स्वामी राघवदास जी,*
*टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान*
*साभार ~ श्री दादू दयालु महासभा*, *साभार विद्युत संस्करण ~ रमा लाठ*
मार्गदर्शक ~ @Mahamandleshwar Purushotam Swami*
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*मू. इ. – भूपति मंदिर लाय लगी,*
*अति लाट जु अम्बर जाय लगी है ।*
*नांहिं बुझे सु उपाय करे बहु,*
*हाय खुदा किमि चूक परी है ॥*
*बीबि रु लौंड पुकारत आतुर,*
*आत दया हिय पाहण ही है ।*
*राघवदास अनाथ यूं दाझत,*
*साधु दुखावन को फल ली है ॥२२९॥*
उक्त प्रकार नामदेवजी के साथ प्रतिकूल व्यवहार करने पर उधर बादशाह के महल में अग्नि लग गई । उसकी ज्वालायें आकाश में ऊंची चढ़ी हुई दिखाई देती थीं । बहुत-से उपाय करने पर भी वह नहीं बुझ रही थी ।
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महल के लोग पुकार रहे थे, हा खुदा ! हमारे से क्या गलती हुई है जिसका ऐसा दंड मिल रहा है । बीबियाँ और लड़के भयभीत होकर रक्षा के लिये पुकार रहे थे । उनकी पुकार सुनकर पत्थर के समान कठोर हृदय वाले को भी दया आ जाय, ऐसी उनकी अवस्था हो रही थी । वे अनाथ होकर इस प्रकार जल रहे थे ।
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राघवदासजी कहते हैं – अकारण संतों को दुःख देने का फल ऐसा ही प्राप्त होता है ।
(क्रमशः)

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