मंगलवार, 24 मई 2022

*रूप धरयो् हरि ब्राह्मण को*

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*खरी कसौटी पीव की, कोई बिरला पहुँचनहार ।*
*जे पहुँचे ते ऊबरे, ताइ किये तत सार ॥*
*(#श्रीदादूवाणी ~ पारिख का अंग)*
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*सौजन्य ~ #भक्तमाल*, *रचनाकार ~ स्वामी राघवदास जी,*
*टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान*
*साभार ~ श्री दादू दयालु महासभा*, *साभार विद्युत संस्करण ~ रमा लाठ*
*मार्गदर्शक ~ @Mahamandleshwar Purushotam Swami*
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*रूप धरयो् हरि ब्राह्मण को,*
*अति-दुर्बल सो१ पर्चो२ व्रत देखै ।*
*ग्यारस के दिन याचत अन्न हिं,*
*आज न ध्यौं सु प्रभात विशेखै ॥*
*बाद करै दहु५ शोर भयो बहु,*
*नाम वचन्न कहे सु अलेखै३ ।*
*अस्त भयो दिन प्राण तजे द्विज,*
*नाम४-प्रभाव सु ग्यारस पेखै ॥२२९॥*
एक समय एकादशी के दिन नामदेव के एकादशी व्रत की निष्ठा देखकर उसका पूरा परिचय२ सबको कराने के लिये हरि एक अति दुर्बल वृद्ध ब्राह्मण का सा१ रूप धारण करके नामदेव के घर जाकर नामदेव को कहा – मैं कई दिन का भूखा हूं, मुझे अन्न दो ।
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नामदेव ने कहा – आज एकादशी का व्रत है । मैं अन्न नहीं दूंगा । कल प्रातः जैसा आप चाहेंगे वैसा ही सुन्दर अन्न आपको विशेष रूप से जिमाऊंगा ।
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ब्राह्मण ने बड़ा हठ किया, वह बोला – मैं अभी ही लूंगा । नामदेव ने भी हठ किया – आज तो मैं अन्न दूंगा ही नहीं । दोनों५ के हठ युक्त उत्तर प्रत्युत्तर से बड़ा हल्ला होने लगा । हल्ला सुनकर बहुत से लोग एकत्र हो गये । कुछ सज्जन नामदेव को कहने लगे, इस मरणे वाले ब्राह्मण के विषय में तो क्या कहैं, यह तो नहीं-कहने-योग्य२ है किन्तु आपको यह वचन कहते हैं, इसको अन्न दे दें । किन्तु नामदेव ने नहीं माना ।
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अच्छी प्रकार नामदेव४ के ग्यारस व्रत का प्रभाव देखकर सूर्य अस्त होने पर ब्राह्मण ने प्राण छोड़ दिये ।
(क्रमशः)

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