बुधवार, 4 मई 2022

*लेत छुरी जब पीवत माना*

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🙏🇮🇳 *卐सत्यराम सा卐* 🇮🇳🙏
🌷🙏🇮🇳 *#भक्तमाल* 🇮🇳🙏🌷
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*करै करावै सांइयाँ, जिन दिया औजूद ।*
*दादू बन्दा बीच में, शोभा को मौजूद ॥*
*(#श्रीदादूवाणी ~ साक्षीभूत का अंग)*
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*सौजन्य ~ #भक्तमाल*, *रचनाकार ~ स्वामी राघवदास जी,*
*टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान*
*साभार ~ श्री दादू दयालु महासभा*, *साभार विद्युत संस्करण ~ रमा लाठ*
*मार्गदर्शक ~ @Mahamandleshwar Purushotam Swami*
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*आय रु पूछत बालक से हित,*
*दूध हि बात कहो कहि नाना ।*
*औलु करी तव दोय दिना नहिं,*
*पीवत खंजर से गर-ठाना ॥*
*पीत भयो तब खोसि लियो कछु,*
*होत खुसी सुन साखि भराना ।*
*जाय धरयो् पय पीवत नांहिं सु,*
*लेत छुरी जब पीवत माना ॥२२०॥*
जब वामदेवजी आये तब बालक नामदेव से प्रीति पूर्वक पूछा – सेवा-पूजा अच्छी प्रकार कर के दूध का भोग लगाता था ?
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नामदेव ने कहा – नानाजी ! ठाकुर जी मुझे तो जानते नहीं थे, आपके हाथ से ही प्रतिदिन दूध पीते थे । इसलिये दो दिन तो आपको ही याद करते रहे कि वे आकर पिलावें तो पीऊं । तीसरे दिन मैंने आपके भय से कटार उठाकर गले पर मारना चाहा, तब प्रभु ने दूध पिया ।
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जब थोड़ा सा दूध रहा तब मैंने प्रसाद तो छोड़िये कहकर भगवान् के हाथ से कटोरा ले लिया । यह बात सुनकर वामदेव प्रसन्न होते हुये बोले – दूध पिलाने का साक्षी कौन है ? नामदेव ने कहा – जिनने दूध पीया है वे स्वयं ठाकुर जी ही साक्षी हैं । नाना ने कहा – ठाकुरजी को पिलाकर साक्षी दिलाओ । नामदेव ने पूर्व प्रकार ही दूध भगवान् के आगे रखकर पीने के लिये प्रार्थना की किन्तु प्रभु ने नहीं पिया । नामदेव ने कहा – कल तो आपने पिया था और आज न पीकर मुझे झूठा बनाते हो, यह कटार मेरे पास ही है ।
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यह कहकर कटार हाथ में ली तब मुसकराकर भगवान् ने दूध पी लिया और वामदेवजी ने मान लिया तथा प्रभु से प्रार्थना करते हुये वामदेव बोले – आपने इसे अपनी सेवा-पूजा के लिये ही प्रकट किया है । सो अब इसी से सेवा लीजिये । यह कहकर उसी क्षण नामदेव को सेवा-पूजा सौंप दी ।
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इससे नामदेव की इच्छा पूर्ण हो गई, वह अत्यन्त प्रसन्न हुये । नामदेवजी का विवाह गोविन्द सेठ सदावतें की पुत्री राजाबाई के साथ हुआ था । आप नरसी ब्राह्मणी गाँव छोड़कर पण्ढरपुर आ बसे थे । यहां गोरा कुम्हार, साँवता माली आदि भक्तों से इनका प्रेम हो गया था ।
(क्रमशः)

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