🌷🙏 🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏 卐 *सत्यराम सा* 卐 🙏🌷
🌷🙏 *#श्री०रज्जबवाणी* 🙏🌷
https://www.facebook.com/DADUVANI
*दादू तो तूं पावै पीव को, जे जीवित मृतक होइ ।*
*आप गँवाये पीव मिलै, जानत हैं सब कोइ ॥*
===================
*श्री रज्जबवाणी पद ~ भाग २*
राग राम गिरी(कली) १, गायन समय प्रातः ३ से ५
टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
साभार विद्युत संस्करण ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
.
१७ जीवित मृतक - परिणाम । एकताल
संतों मरणै मंगल मीठा, सो गुरु मुख विरले दीठा१ ॥टेक॥
जो प्रथम माँडते२ मूये, सो राम कहण को हूये३ ॥१॥
दूजे देह जु त्यागी, सो आतम राम हिं लागी ॥२॥
तीजे आतम भूले, तिन सुरति सु पाया मूलै ॥३॥
चौथे चिन्तन कोई, तहाँ रज्जब एक न दोई ॥४॥१७॥
जीवित मृतक होने का उत्तरोत्तर फल दिखा रहे हैं -
✦ संतो ! जीवित मृतक होने को फल अति मधुर मंगल मय होता है उसे किसी गुरु मुख बिरले साधक ने ही देखा१ है ।
✦ जो मरणे से पहले ही संसार२ से मर जाता है अर्थात शव के समान हर्ष शोकादि से रहित हो जाता है, वही राम भजन करने के लिये कटिबद्ध होता३ है ....
✦ और उसकी दूसरी अवस्था में जब देहध्यास त्याग देता है, तब वह जीवात्मा राम के स्वरूप में जुड़ जाता है
✦ तीसरे जो अपने को भी भूल जाता है तब उसकी वृति अपने मूल ब्रह्म को प्राप्त कर लेती है ।
✦ चौथे जब कोई ब्रह्मात्मा का अभेद चिन्तन करने लगता है तब उसकी अवस्था में एक और दो यह भेद नहीं रहता ।
(क्रमशः)

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें