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*साधु जन संसार में, शीतल चंदन वास ।*
*दादू केते उद्धरे, जे आये उन पास ॥*
*(#श्रीदादूवाणी ~ साधू का अंग)*
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साभार ~ श्री महेन्द्रनाथ गुप्त(बंगाली), कवि श्री पं. सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’(हिंदी अनुवाद)
साभार विद्युत् संस्करण ~ रमा लाठ
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*परिच्छेद १०३/श्रीरामकृष्ण तथा श्री बंकिमचन्द्र*
*(१)बंकिम और राधाकृष्णः युगल-रूप व्याख्या*
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आज श्रीरामकृष्णदेव अधर के मकान पर पधारे हैं; मार्गशीर्ष की कृष्ण चतुर्थी है, शनिवार ६ दिसम्बर, सन् १८८४ । श्रीरामकृष्ण पुष्य नक्षत्र में आये हैं । अधर विशेष भक्त हैं; वे डिप्टी मैजिस्ट्रेट हैं । उम्र २९-३० होगी ।
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श्रीरामकृष्ण उनसे विशेष प्रेम रखते हैं । अधर की भी कैसी भक्ति है ! सारा दिन आफिस के परिश्रम के बाद मुँह-हाथ धोकर प्रायः प्रतिदिन ही सन्ध्या के समय श्रीरामकृष्ण का दर्शन करने जाया करते थे ।
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मकान शोभाबाजार बेनेटोला में है । वहाँ से दक्षिणेश्वर कालीमन्दिर में श्रीरामकृष्ण के पास गाड़ी करके जाते थे । इस प्रकार प्रतिदिन प्रायः दो रुपये गाडीभाड़ा देते थे । केवल श्रीरामकृष्ण का दर्शन करेंगे, यही आनन्द है । उनके श्रीमुख की वाणी सुनने का अवसर प्रायः नहीं होता था ।
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पहुँचकर श्रीरामकृष्ण को भूमिष्ठ हो प्रणाम करते थे; कुशल प्रश्न आदि के बाद में माँ काली का दर्शन करने जाते थे । बाद में जमीन पर चटाई बिछी रहती थी, उस पर विश्राम करते थे । श्रीरामकृष्ण स्वयं ही उनको विश्राम करने को कहते थे ।
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अधर का शरीर परिश्रम के कारण इतना क्लान्त हो जाता था कि वे थोड़े ही समय में सो जाते थे । रात के ९-१० बजे उन्हें उठा दिया जाता था । वे भी उठकर श्रीरामकृष्ण को प्रणाम कर फिर गाड़ी पर सवार होते और घर लौट जाते थे ।
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अधर श्रीरामकृष्ण को अक्सर शोभाबाजार में अपने घर पर ले जाते थे । श्रीरामकृष्णदेव के आने पर वहाँ उत्सव लग जाता था । श्रीरामकृष्ण तथा अन्य भक्तों के साथ अधर खूब आनंद मनाते थे और अनेक प्रकार उन्हें तृप्ती के साथ भोजन कराते थे ।
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एक दिन श्रीरामकृष्ण उनके घर पर पधारे । अधर ने कहा, “आप बहुत दिनों से इस मकान पर नहीं आये थे; घर बड़ा मैला पड़ा था, न जाने कैसी दुर्गन्ध पैदा हो गयी थी; आज देखिये, घर की कैसी शोभा हुई है और कैसी सुगन्ध फैली हुई है ! मैंने आज ईश्वर को बहुत पुकारा था । यहाँ तक कि आँखों से आँसू निकल पड़े थे ।" श्रीरामकृष्ण बोले, "कहते क्या हो जी" और यह कहकर अधर की ओर स्नेह-भरी दृष्टि से देखकर हँसने लगे ।
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आज भी उत्सव होगा । श्रीरामकृष्ण भी आनन्दमय है, भक्तगण भी आनन्द से पूर्ण हैं; क्योंकि जहाँ श्रीरामकृष्ण उपस्थित हैं, यहाँ ईश्वर की चर्चा के अतिरिक्त और कोई भी बात न होगी । भक्तगण आये हैं और श्रीरामकृष्ण को देखने के लिए अनेक नये नये व्यक्ति आये हैं ।
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अधर स्वयं डिप्टी मैजिस्ट्रेट हैं । वे अपने कुछ मित्र तथा डिप्टी मैजिस्ट्रेट को आमन्त्रित करके लाये हैं । वे स्वयं श्रीरामकृष्ण को देखेंगे और कहेंगे, वास्तव में वे महापुरुष है या नहीं ।
(क्रमशः)

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