मंगलवार, 3 मई 2022

*श्री रज्जबवाणी पद ~ ७*

🌷🙏 🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏 卐 *सत्यराम सा* 卐 🙏🌷
🌷🙏 *#श्री०रज्जबवाणी* 🙏🌷
https://www.facebook.com/DADUVANI
*बहुगुणवंती बेली है, मीठी धरती बाहि ।*
*मीठा पानी सींचिये, दादू अमर फल खाहि ॥*
===================
*श्री रज्जबवाणी पद ~ भाग २*
अथ राग राम गिरी(कली) १, गायन समय प्रातः ३ से ५
टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
साभार विद्युत संस्करण ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
.
७. बुद्धि-बेलि । दादरा
बुद्धि बेलि१ लो२ बुद्धि बेलि लो२, निपजै३ भाग४ सु भेलीलो५ ।
वाइक६ बीज भाव भुवि बाह्या, अंकुर आदि उदय लीलो७ ॥टेक॥
जल जोइ जुगति माहिंला८ माली, निरति९ किया नीदणैं१० लीलो११ ।
पान प्रकाश ताक१२ तत्व तन्तू, रूख१३ रटणि१४ बिलमै१५ लीलो१६ ॥१॥
अह निशि बेलि बधै विधि लागी, वायु न विषय बहे लीलो१७ ।
फहम१८ फूल फूली फल कारण, मन मधुकर मिल आवहिलो ॥२॥
बाडी विहर विघ्न कछु नहीं, मृग मांहीं नहिं आवहिलो ।
बागवान पुनि रहै बधिक विधि, बैरी बेलि न भावहिलो ॥३॥
फल हरि दर्श लता तिहीं लागे, रखवारे व्योसावहिलो१९ ।
जन रज्जब जुग जुग सो जीवै, ऐन२० अमर फल खावहिलो ॥४॥७॥
वेली रूप से बुद्धि का परिचय दे रहे हैं -
✦ संतों की बुद्धि रूप लता१ को मन वचन से ग्रहण-करो२, उनसे मिल लोगे५ अर्थात उस के अनुसार साधन करोगे, तब तुम्हारा भाग्य४ उदय३ होगा । इतनी प्रेरणा करके अब बुद्धि वेलि का परिचय दे रहे हैं - वचन६ रूप बीज भाव रूप पृथ्वी में बोया जाता है, तब उसमें शुभ इच्छा रूप पहला अंकुर निकल कर हरा७ होता है ।
✦ अंतरात्मा८ रूप माली जिस प्रकार जिस प्रकार की युक्ति से उसकी वृद्धि होती है वही युक्ति रूप जल उस में डालता है । फिर कुछ बढ़ने पर उसके साथ बढ़ने वाले अभिमानादि हरे११ घास को विचार९ रूप रस्सी से खोद कर निकला१० जाता है । फिर उसमें ज्ञान प्रकाश रूप पत्ते खूब आते हैं तथा तत्व की ओर देखना१२ रूप तन्तु आते हैं । फिर वह हरि नाम चिंतन१४ रूप हरे१६ वृक्ष१३ का आश्रय१५ लेती है । उक्त विधि से लगी हुई यह लता दिन रात बढ़ती रहती है ।
✦ इनके पास विषयी पुरुषों को प्रसन्न१७ करने वाला विषय-राग रूप वायु नहीं चलता । यह फल देने के लिये समझ१८ रूप फूलों से फूलेगी तब जिज्ञासु का मन रूप भ्रमर इससे आ मिलेगा ।
✦ विरह रूप वाटिका में होने से, इसके पालन में कुछ भी विघ्न नहीं हो पाता है । काम रूप मृग इसमें नहीं आयेगा, फिर भी आन्तारात्मा रूप भगवान व्याध के समान इसकी रक्षा के लिये कटि बद्ध रहता है । उसे वेलि के शत्रु अच्छे नहीं लगते ।
✦ इसके हरि दर्शन रूप फल लगता है । रक्षक ही उससे लाभ१९ उठायेगा । इसके ब्रह्म साक्षात्कार२० रूप अमर फल को जो खायेगा, वह ब्रह्म रूप हो कर प्रति युग में जीवित रहेगा ।
(क्रमशः)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें