गुरुवार, 12 मई 2022

*सेवक के संग में*

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🌷 *#श्रीरामकृष्ण०वचनामृत* 🌷
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*दादू मैं नाहीं तब नाम क्या, कहा कहावै आप ?*
*साधो ! कहो विचार कर, मेटहु तन की ताप ॥*
*(#श्रीदादूवाणी ~ विचार का अंग)*
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साभार ~ श्री महेन्द्रनाथ गुप्त(बंगाली), कवि श्री पं. सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’(हिंदी अनुवाद)
साभार विद्युत् संस्करण ~ रमा लाठ
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*(५)सेवक के संग में*
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रात के १०-११ बजे होंगे । श्रीरामकृष्ण छोटी खाट पर तकिये के सहारे विश्राम कर रहे हैं । मणि जमीन पर बैठे हैं । मणि के साथ श्रीरामकृष्ण बातचीत कर रहे हैं । कमरे की दीवार के पास उसी दीपदान पर दिया जल रहा है ।
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श्रीरामकृष्ण - मेरे पैर सुहारते हैं, जरा हाथ फेर दो ।
मणि श्रीरामकृष्ण के पैरों की ओर छोटी खाट पर बैठे हुए धीरे धीरे पैरों पर हाथ फेर रहे हैं । श्रीरामकृष्ण रह-रहकर बातचीत कर रहे हैं ।
श्रीरामकृष्ण - (सहास्य) - अकबर बादशाह की बात कैसी रही ?
मणि - जी हाँ ।
श्रीरामकृष्ण - कौन सी बात, कहो तो जरा ।
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मणि - फकीर बादशाह से मिलने आया था । अकबर बादशाह उस समय नमाज पढ़ रहे थे । नमाज पढ़ते हुए ईश्वर से धनदौलत की प्रार्थना करते थे । यह सुनकर फकीर धीरे से अपने घर चल दिया । बाद में अकबर बादशाह के पूछने पर उसने कहा 'अगर माँगना ही है तो भिखारी से क्या माँगू ?’
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श्रीरामकृष्ण - और कौन कौन सी बातें हुई थीं ?
मणि - संचय की बातें खूब हुई ।
श्रीरामकृष्ण - (सहास्य) - कौन-कौन सी ?
मणि - जब यह ज्ञान रहता है कि हमें प्रयत्न करना चाहिए तब तक प्रयत्न करना चाहिए । संचय की बात सींती में कैसी कही आपने ?
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श्रीरामकृष्ण - कौन सी बात ?
मणि - जो पूर्ण रूप से उन पर अवलम्बित है, उसका भार वे लेते भी हैं - नाबालिग का भार जैसे वली लेता है । एक बात और सुनी थी, वह यह कि जिस घर में न्योता रहता है, वहाँ छोटा लड़का खुद स्थान ग्रहण नहीं कर सकता, खाने के लिए दूसरे उसे बैठाते हैं ।
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श्रीरामकृष्ण – नहीं । यह ठीक नहीं हुआ । बाप अगर लड़के का हाथ पकड़कर ले जाता है तो वह लड़का नहीं गिरता ।
मणि - और आज आपने तीन तरह के साधुओं की बात कही थी । उत्तम साधु को बैठे हुए ही भोजन मिलता है । आपने उस बालक साधु की बात कही । उसने लड़की के स्तन देखकर पूछा था, इसकी छाती पर ये फोड़े कैसे हुए ? और भी बहुत सी सुन्दर सुन्दर बातें आपने कही थी, सब बातें कैसे ऊँचे लक्ष्य की थीं !
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श्रीरामकृष्ण - (सहास्य) - कौन कौन सी बातें ?
मणि - पम्पा सरोवर के उस कौए की बात । दिन-रात रामनाम जपता है, इसीलिए पानी के पास पहुँचकर भी पानी पी नहीं सकता । और उस साधु की पोथी की बात जिसमें केवल 'श्रीराम' लिखा हुआ था । और हनुमान ने श्रीरामजी से जो कुछ कहा –
श्रीरामकृष्ण - क्या कहा ?
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मणि - 'सीता को मैंने देखा, केवल उनकी देह पड़ी हुई है, मन और प्राण सब तुम्हारे श्रीचरणों में उन्होंने अर्पित कर दिये हैं ।'
"और चातक की बात - स्वाति की बूँदों को छोड़ और दूसरा पानी नहीं पीता । "और ज्ञानयोग और भक्तियोग की बातें ।"
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श्रीरामकृष्ण - कौन सी ?
मणि - जब तक 'कुम्भ' का ज्ञान है, तब तक 'मैं कुम्भ हूँ' यह भाव रहेगा ही । जब तक 'मैं' है, तब तक 'मै भक्त हूँ, तुम भगवान हो' यह भाव भी रहेगा ।
श्रीरामकृष्ण - नहीं, 'कुम्भ' का ज्ञान रहे या न रहे, 'कुम्भ' मिट नहीं सकता । उसी तरह 'मैं' भी नहीं मिटता । चाहे लाख विचार करो, वह नहीं जाता ।
मणि कुछ देर चुप हो रहे; फिर बोले –
“काली-मन्दिर में ईशान मुखर्जी से आपकी बातचीत हुई थी – भाग्यवश उस समय हम लोग भी वहाँ थे और सब बातें सुनी थीं ।
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श्रीरामकृष्ण - (सहास्य) - हाँ, कौन-कौन सी बातें हुई थीं, जरा कहो तो सही ।
मणि - आपने कहा था, कर्मकाण्ड प्रथम अवस्था की क्रिया है; शम्भू मल्लिक से आपने कहा था, 'अगर ईश्वर तुम्हारे सामने आयें तो क्या तुम उनसे कुछ अस्पतालों और दवाखानों की प्रार्थना करोगे ?"
"एक बात और हुई थी । वह यह कि जब तक कर्मों में आसक्ति रहती है, तब तक ईश्वर दर्शन नहीं देते । केशव सेन से इसी सम्बन्ध की बातें आपने कही थीं ।"
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श्रीरामकृष्ण - कौन-कौन सी बातें ?
मणि - जब तक लड़का खिलौने पर रीझा रहता है, तब तक माँ रोटी-पानी में लगी रहती है, पर खिलौना फेंककर जब लड़का चिल्लाता रहता है तब माँ तव उतारकर बच्चे के लिए दौड़ती है ।
(क्रमशः)

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