बुधवार, 29 जून 2022

*स्वामिन के तुम हो लगते कछु*

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏🇮🇳 *卐सत्यराम सा卐* 🇮🇳🙏
🌷🙏🇮🇳 *#भक्तमाल* 🇮🇳🙏🌷
https://www.facebook.com/DADUVANI
*सुफल वृक्ष परमार्थी, सुख देवै फल फूल ।*
*दादू ऊपर बैस कर, निगुणा काटै मूल ॥*
*(#श्रीदादूवाणी ~ निगुणा का अंग)*
===========
*सौजन्य ~ #भक्तमाल*, *रचनाकार ~ स्वामी राघवदास जी,*
*टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान*
*साभार ~ श्री दादू दयालु महासभा*, *साभार विद्युत संस्करण ~ रमा लाठ*
*मार्गदर्शक ~ @Mahamandleshwar Purushotam Swami*
.
*बूझत चाकर नांहिं समा तव,*
*काहुकि नांहिं भई इमि सेवा ।*
*स्वामिन के तुम हो लगते कछु,*
*साच कहँ हम जानत भेवा ॥*
*चाकर थे इकठे नृप के,*
*विगड़ा इन से हम मारन देवा ।*
*जीवित राखहु काटि करौ पग,*
*वा गुण को अबहू भरि लेवा ॥२४४॥*
पहुँचाने वाले राजा के सेवकों ने पूछा- स्वामीजी के आप कुछ लगते होंगे ? आप सत्य सत्य कहें जिससे उस रहस्य को हम जाने जायें ।
.
अनेक संत यहाँ आते हैं किन्तु आपके समान कोई भी नहीं आये । जैसी आपकी सेवा स्वामीजी ने कराई है, वैसी तो आज तक किसी की भी नहीं हुई ।
.
ठग बोले- ये और हम एक राजा के नौकर थे और एक साथ ही रहते थे । इनसे एक बहुत बड़ा कार्य बिगड़ गया था । तब राजा ने इनको मारने के लिये हमको आज्ञा दी थी ।
.
हमने इनके हाथ पैर काट कर राजा को दिखा दिया और इनको जीवित ही रख लिया था । उसी गुण के बदले में अब यह सेवा आपने इच्छा भर कर ली है ।
(क्रमशः)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें