गुरुवार, 5 जनवरी 2023

शब्दस्कन्ध ~ पद #२८०

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🦚 *#श्रीदादूवाणी०भावार्थदीपिका* 🦚
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भाष्यकार : ब्रह्मलीन महामण्डलेश्वर स्वामीआत्माराम जी महाराज, व्याकरण वेदांताचार्य, श्रीदादू द्वारा बगड़, झुंझुनूं ।
साभार : महामण्डलेश्वर स्वामीअर्जुनदास जी महाराज, बगड़, झुंझुनूं ।
*#हस्तलिखित०दादूवाणी* सौजन्य ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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*(#श्रीदादूवाणी शब्दस्कन्ध ~ पद #२८०)*
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*२८०. (फारसी) त्रिताल*
*हुशियार हाकिम न्याव है, सांई के दीवान ।*
*कुल का हिसाब होगा, समझ मुसलमान ॥टेक॥*
*नीयत नेकी सालिकां, रास्ता ईमान ।*
*इखलास अंदर आपणे, रखणां सुबहान ॥१॥*
*हुक्म हाजिर होइ बाबा, मुसल्लम महरबान ।*
*अक्ल सेती आपमां, शोध लेहु सुजान ॥२॥*
*हक सौं हजूरी हूँणां, देखणां कर ज्ञान ।*
*दोस्त दाना दीन का, मनणां फरमान ॥३॥*
*गुस्सा हैवानी दूर कर, छाड़ दे अभिमान ।*
*दुई दरोगां नांहिं खुशियाँ, दादू लेहु पिछान ॥४॥*
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भावदी०-हे न्यायकर्तस्त्वया सावधानेन भवितव्यम् । भगवद्-द्वारि तवाऽपि न्यायो भविष्यति । हे यवन ! सर्वेषां श्रेयसे चेष्टष्व । धर्म एव ते सहायकः । सर्वैः सह स्नेहं कुरु । परमात्मन: पवित्रामाज्ञां पालय । दीनेषु दयालुभव । हे बुद्धिमन् ! बुद्ध्या यथार्थमार्गमन्विष्य भक्त्या सत्य-स्वरूपं परमात्मानं परिचित्य ज्ञानेन तत्त्वस्वरूपं जानीहि । सर्वेषां सुहृदः परमात्मनस्तथा सताञ्चाज्ञां परिपालय ।
क्रोधं त्यज, पाशविक-बुद्धि विमुञ्च, गर्वं परिहर । भेदबुद्ध्या तवामनसि या प्रसन्नता, सा मिध्येति मत्वा तत्त्यागि कुरु । इदमेव कर्तव्यमिति ज्ञात्वा तत्परिपालय । अनेन पद्येन सांभरनगर-निवासिनं विलन्दखानं न्यायकारिणमुपदिदेश ।
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हे न्याय करने वाले हाकिम ! सावधान रहना । भगवान् के द्वार पर तेरा भी हिसाब होगा । हे यवन, क्योंकि भगवान् के यहां सभी का फैसला होता है, अतः तेरा भी होगा । अतः सबका भला करना । धर्म ही तेरे साथ यात्रा में चलेगा । सबसे प्रेम करना । परमत्मा की पवित्र आज्ञा का पालन करना । दयालु रहना ।
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हे बुद्धिमान् ! अपनी बुद्धि से यथार्थ मार्ग को खोज कर प्रभु भक्ति से परमात्मा को पहचान कर ज्ञान के द्वारा उसको प्राप्त करना । सबके मित्र परमात्मा तथा सन्तों की आज्ञा का पालन करना । पाशविक बुद्धि और क्रोध को छोड़ दे । अभिमान मत कर ।
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भेदबुद्धि से जो तेरा मन प्रसन्न होता है वह प्रसन्नता तेरी मिथ्या है । ऐसा जानकर उस बुद्धि को त्याग दे । यह सब तेरा कर्तव्य है । ऐसा मानकर इन सब बातों का पालन करना । इस पद्य के द्वारा सांभर नगर में विलन्द खान हाकिम को उपदेश दिया था जो इस उपदेश से प्रभावित होकर भक्त बन गया था ।
(क्रमशः)

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