शनिवार, 7 जनवरी 2023

एक पलक मैं करै निहाल

🌷🙏 🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏 卐 *सत्यराम सा* 卐 🙏🌷
🌷🙏 *#संतटीलापदावली* 🙏🌷
https://www.facebook.com/DADUVANI
*दादू शीतल जल नहीं, हिम नहिं शीतल होइ ।*
*दादू शीतल संत जन, राम सनेही सोइ ॥*
=================
*संत टीला पदावली*
*संपादक ~ ब्रजेन्द्र कुमार सिंहल*
*साभार विद्युत संस्करण ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी*
===========
राग गुंड ॥२॥
अेसौ साध मिलै म्हारै आनन्द होइ ।
राम राम कहि काया धोइ ॥टेक॥
नीकौ दीसै रुड़ा चालै । 
बस्त काहु की हाथ न घालै ।
अति सीतल आनन्द घट मांहीं । 
तिनकै दुविधा दुरमति नांहीं ॥
तिहिं नैं मिलि जैसौं१ हां२ जाइ । 
भाव भगति करि हेत लगाइ ।
टीला चरणां बहिं३ कां४ चाल । 
एक पलक मैं करै निहाल ॥९॥
(पाठान्तर : १. जैसौं, २. हों, ३. उही, ४. का)
.
जो साधु राम नाम का स्मरण करके समल काया को निर्मल कर लेता है उससे मिलने पर मुझको अखण्डानन्द का अनुभव होता है ॥टेक॥
.
ऐसा ब्रह्मनिष्ठ साधु दीखने में अच्छा होता है; उसका आचार-व्यवहार उत्तम होता है; वह किसी अन्य की वस्तु को अपनी नहीं बनाता, उसको प्राप्त करने का तनिक सा भी प्रयत्न नहीं करता । वह अतीव शीतल = शान्तचित्त होता है, उसका हृदय सदैव आनन्द से सरोबार होता है । उसमें किंचितमात्र भी दुविधा = संशय और दुर्मति नहीं रहती ।
.
जो भी उसके प्रत्ति अपने चित्त में श्रद्धा-भक्ति सहित प्रीति धारण करता है, वह उससे मिलकर उस जैसा ही हो जाता है । टीला कहता है, ऐसे ब्रह्मनिष्ठ सन्त = चरणों की चाल = आचरण का ही अनुसरण करना चाहिए जो एक क्षण में ही चलने वाले को कृतार्थ कर देती है ॥९॥
(क्रमशः)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें