शनिवार, 21 जनवरी 2023

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*अन्तरगत औरै कछु, मुख रसना कुछ और ।*
*दादू करणी और कुछ, तिनको नांही ठौर ॥*
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साभार : @Subhash Jain
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🌷मेरा पुस्तक प्रेम💗
मेरे पिता जी वर्ष में कम से कम तीन या चार बार बंबई जाया करते थे। और वे सभी बच्चों से पूछा करते थे, तुम अपने लिए क्या पसंद करोगे। और वे मुझसे भी पूछा करते यदि तुमको किसी वस्तु की आवश्यकता हो तो में उसको लिखा सकता हूं और बंबई से ला सकता हूं।
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मैंने कहा कभी कुछ लाने के लिए नहीं कहां। एक बार मैंने कहा, मैं केवल यह चाहता हूं कि आप और अधिक मानवीय, पिता पन से कम भरे हुए, अधिक मैत्रीपूर्ण, कम अधिनायक वादी, अधिक लोकतांत्रिक, होकर वापस लौटिए। जब लौट कर आएं तो मेरे लिए अधिक स्वतंत्रता लेकर आइएगा।
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उन्होंने कहा : लेकिन बाजार में यह वस्तुएं उपलब्ध नहीं है।
मैंने कहा : मुझको पता है। ये बाजार में उपलब्ध नहीं है। लेकिन ये ही वे चीजें है जिनको मैं पसंद करूंगा: जरा सी और स्वतंत्रता, कुछ कम आदेश कुछ कम आज्ञाएं ओर थोड़ा सा सम्मान।
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कभी किसी बच्चे ने सम्मान नहीं मांगा था। तुम खिलौनों, मिठाईयों, कपड़ों,साईकिल और ऐसी ही वस्तुओं की मांग क्यों नहीं करते हो। वे तुमको मिल जाती। लेकिन ये वास्तविक चीजें नहीं है जो तुम्हारा जीवन आनंदित करने जा रही हों।
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मैंने उनसे घन केवल तभी मांगा जब मैं पुस्तकें खरीदना चाहता था। मैंने कभी किसी और वस्तु के लिए धन नहीं मांगा। और मैंने उनसे कहा: जब मैं पुस्तकों के लिए धन मांगु तो बेहतर है कि आप मुझको दे दें, उन्होंने कहा : क्या अभिप्राय है तुम्हारा ?
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मैंने कहा : मेरा अभिप्राय बस यह है कि यदि आप मुझको यह धन नहीं देते है तो मुझको इसे चुराना पड़ेगा। मैं चौर बनना तो नहीं चाहता लेकिन यदि आप मुझको बाध्य करते है तो कोई उपाय नहीं है। आप जानते है कि मेरे पास धन नहीं है। मुझको उन पुस्तकों की आवश्यकता है और मैं उन्हें खरीदने जा रहा हूं, यह आप जानते है।
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इसलिए यदि मुझको धन नहीं दिया गया जाएगा, तो मैं उसे ले लूगा और अपने मन में यह बात स्मरण कर लें कि वह आप थे जिसने मुझको चोरी करने के लिए बाध्य किया था।
उन्होंने कहा : चोरी करने की आवश्यकता नहीं है। तुमको जब कभी धन की आवश्यकता हो तुम बस आओ ओर उसे ले लो।
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मैंने कहा : आप आश्वस्त रहें कि यह केवल पुस्तकों के लिए है। लेकिन आश्वस्त होने की आवश्यकता नहीं थी, क्योंकि वे घर में मेरे बढ़ते हुए पुस्तकालय को देखते रहते थे।
धीरे-धीरे घर में मेरी पुस्तकों के अतिरिक्त किसी और वस्तु के लिए स्थान ही नहीं बचा।
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और मेरे पिता ने कहा : पहले हमारे घर में एक पुस्तकालय था, अब पुस्तकालय में हमारा घर है। और हम सभी को पुस्तकों को खयाल रखना पड़ता है। क्योंकि यदि तुम्हारी किसी पुस्तक के साथ कुछ गड़बड़ हो जाती है। तो तुम इतना शोर मचाते हो,तुम इतना उपद्रव कर डालते हो कि प्रत्येक व्यक्ति तुम्हारी पुस्तकों से भयभीत है। और वे हर कहीं है; तुम उनसे टकराने से बच नहीं सकते हो। और यहां पर छोटे बच्चे है.....
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मैंने कहा : छोटे बच्चे मेरे लिए कोई समस्या नहीं है, समस्या है बड़े बच्चे। छोटे बच्चे--मैं उनका इतना सम्मान करता हूं कि वह मेरी पुस्तकों की रक्षा करते है।
यह मेरे घर में देखे जाने वाली विचित्र बात थी। मुझसे छोटे भाई ओर बहनें अभी जब मैं घर में नहीं होता था तो मेरी पुस्तकों को सुरक्षा करते थे। कोई मेरी पुस्तकें छू भी नहीं सकता था। और वे उनको साफ करते थे और उनको सही स्थान पर रख दिया करते थे।
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भले ही मैंने उनको कहीं रख दिया हो। इसलिए जब कभी मुझको किसी पुस्तक की आवश्यकता आती थी वे मुझे मिल जाती थी। और यह एक आसान मामला था क्योंकि मैं उनके प्रति इतना सम्मान पूर्ण था। और वे मेरे प्रति अपना सम्मान सिवाय इसके कि वे मेरी पुस्तकों के प्रति सम्मानपूर्ण हो जाएं, वे किसी और ढंग से व्यक्त कर भी नहीं सकते थे।
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मैंने कहा : वास्तविक समस्या बड़े बच्चे है--मेरे चाचा लोग मेरी चाचियां, मेरे पिता की बहनें मेरे पिता के जीजा लोग--ये लोग थे जो समस्या थे। मैं नहीं चाहता कि कोई मेरी पुस्तकों पर निशान लगाए, मेरी पुस्तकों में अंडरलाइन करे। और ये लोग यही किए चले जाते है। मुझको इस खयाल से ही धृणा थी कि कोई व्यक्ति मेरी पुस्तकों में अंडरलाइन करे।
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मेरे पिता के एक जीजाजी प्रोफेसर थे। इसलिए उनमें अंडरलाइन करने की आदत होनी ही थी। और उनको इतनी सारी सुंदर पुस्तकें मिल गई थी, इसलिए जब कभी वे आया करते वे मेरी पुस्तकों पर टिप्पणियां लिख देते थे। मुझको उन्हें बताना पड़ता था: यह न केवल असभ्यता पूर्ण है, गलत आचरण है बल्कि यह भी प्रदर्शित करता है कि आपके पास किस भांति का मन है।
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मैं पुस्तकालय से पुस्तक लाकर पढ़ना नहीं चाहता, मैं पुस्तकालयों से लाकर पुस्तकें नहीं पढ़ता हूं। बस इसी कारण से कि वे अंडरलाइन की हुई, चिह्नित की गई होती है। किसी और व्यक्ति ने किसी बात पर बल दिया हुआ है। मैं ऐसा नहीं चाहता हूं, क्योंकि आपके जाने बिना वह उस बात पर दिया हुआ बल आपने मन में प्रविष्टि हो जाता है। 
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यदि आप कोई पुस्तक पढ़ रहे है और कोई बात लाल रंग से अंडरलाइन है तो यह पंक्ति एक अलग प्रभाव छोड़ती है। आपने पूरा पृष्ठ लिया है लेकिन वह पंक्ति अलग प्रभाव डालती है। यह आपके मन पर एक भिन्न प्रकार की छाप छोड़ जाती है।
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मुझको किसी और द्वारा अंडरलाइन, चिन्हित पुस्तक पढ़ने से अरूचि है। मेरे लिए यह बस उसी प्रकार से है जैसे कोई वेश्या के पास जा रहा हो। एक वेश्या उस स्त्री के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं है जिसे अंडरलाइन और चिन्हित कर दिया गया हो उसके प्रत्येक स्थान पर विभिन्न लोगों द्वारा भिन्न -भिन्न भाषाओं में टिप्पणियां लिख दी जाती है। आप एक अनछुई स्त्री चाहेंगे, किसी और के द्वारा रेखांकित की हुई नहीं।
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मेरे लिए कोई पुस्तक मात्र एक पुस्तक नहीं है। यह एक प्रेम संबंध है। यदि आप किसी पुस्तक पर अंडरलाइन कर देते है तो आपको उसका मूल्य चुकाना पड़ेगा और उसे ले जाना होगा। फिर मैं उस पुस्तक को यहां पर रखना नहीं चाहता हूं। क्योंकि एक गंदी मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है। मैं वेश्या बन चुकी पुस्तक को रखना नहीं चाहता--इसको ले लें।
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वे बहुत क्रोधित हो गए, क्योंकि वे मेरी बात समझ न सके। मैंने कहा: आप मुझे नहीं समझते हैं क्योंकि आप मुझको नहीं जानते है। आप जरा मेरे पिता से बात करें।
और मेरे पिता ने उनसे कहा: यह आपका दोष है। आपने उसकी पुस्तक में रेखाएं क्यों खींच दीं। आपने उसकी पुस्तक में टिप्पणी क्यों लिख दी। इससे आपका कौन सा उद्देश्य पूरा हो गया--क्योंकि पुस्तक तो उसी के पुस्तकालय में रहेगी। पहली बात यह कि आपने उससे अनुमति कभी नहीं मांगी--कि आप उसकी पुस्तक पढ़ना चाहते थे।
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यदि यह उसकी चीज है तो यहां उसकी अनुमति के बीना कुछ नहीं होता। क्योंकि यदि आप उसकी चीज बिना अनुमति लिए ले लेते हैं, तो वह प्रत्येक व्यक्ति की वस्तुऐं बिना अनुमति के ले जाना आरंभ कर देता है। और इससे परेशानी निर्मित हो जाती है। अभी उस दिन मेरे एक मित्र ट्रेन पकड़ने जा रहे थे और वह उसका सूटकेस लेकर चला गया.....
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मेरे पिता के मित्र पगलाए जा रहे थे : मेरा सूटकेस कहां है?
मैंने कहा : मुझे पता है कि वह कहां है, लेकिन आपके सूटकेस के भीतर मेरी पुस्तकों में से एक पुस्तक है। मुझको आपने सूटकेस में कोई रुचि नहीं है। मैं तो बस अपनी पुस्तकों में से एक पुस्तक बचाने का प्रयास कर रहा हूं।
मैंने कहा: उसे खोलो-देखो, लेकिन वो हिचकिचा रहे थे। क्योंकि उन्होंने पुस्तक चुराई थी--और उनके सूटकेस में पुस्तक मिल गई। मैंने कहा: अब आप अर्थदंड जमा कीजिए, क्योंकि यह असभ्यता पूर्ण है। 
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आप यहां पर एक अतिथि थे; हमने आपका सम्मान किया, हमने आपकी सेवा की। हमने आपके लिए सब कुछ किया--आपने एक गरीब लड़के की पुस्तक चुरा ली जिसके पास कोई पैसा नहीं है। एक ऐसा लड़का जिसे अपने पिता को धमकाना पडा कि यदि आप मुझे पैसे नहीं देंगे तो मैं चोरी करने जा रहा हूं। और फिर पूछिएगा मत कि मैंने ऐसा क्यों किया है? क्योंकि तब जहां कहीं से मैं चुरा सका, मैं चोरी कर लुंगा।
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ये पुस्तकें सस्ती नहीं है-+और आपने बस इसको अपने सूटकेस में रख लिया। आप मेरी आंखों में धूल नहीं झोंक सकते। मैं जब अपने कमरे में प्रवेश करता हूं तो मैं जान लेता हूं कि मेरी सभी पुस्तकें वहां पर है या नहीं,कोई गायब तो नहीं है।
इसलिए मेरे पिता ने उन प्रोफेसर से कहा जिन्होंने मेरी पुस्तक में अंडरलाइन की थी, उसके साथ वैसा कभी मत कीजिएगा। यह पुस्तक ले जाइए और इसके स्थान पर इसकी नई प्रति लाकर रख दीजिएगा।ओशो

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