शनिवार, 7 जनवरी 2023

*श्री रज्जबवाणी पद ~ १००*

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*जलती बलती आतमा, साधु सरोवर जाइ ।*
*दादू पीवै राम रस, सुख में रहै समाइ ॥*
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*श्री रज्जबवाणी पद ~ भाग २*
राग टोडी । (गायन दिन ६ से १२)
टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
साभार विद्युत संस्करण ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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१०० मन को शिक्षा । गजझपा ताल
सुनले साँची सीख मनं, जप राम छिनं१ सब पाप हनं२ ।
जग सौं तोरि जोरि हरि सेती३, गृह दारा सुत त्याग धनं ॥टेक॥
विगता४ विरच५ सकल गुण न्यारा, सूक्ष्म मोटा पाप वनं ।
कारज सरै६ समझ मति सुंदर, सदगुरु साधू साखि जनं ॥१॥
विषया संग जरै जग सारा, दुख दीरघ७ अधिकार८ सुनं ।
निष्कामी शीतल हो बैठे, उर अंतरि ले नाम धनं ॥२॥
रहते९ संग राखले रजमा१०, आयु अल्प यहु जाय तनं ।
जन रज्जब राम हिं रट लीजे, अवसर समझ रे एक क्षनं ॥३॥१७॥
मन को शिक्षा दे रहे हैं -
✦ मन ! सच्ची शिक्षा ग्रहण करले, प्रति क्षण१ राम नाम का जप करके, पाप नष्ट२ कर, जगत से संबंध तोड़कर हरि से३ जोड़, घर, नारी, पुत्र और धन के राग को त्याग
✦ जो काम बीत४ चुके हैं उनके संकल्पों से विरक्त५ हो अर्थात उनके संकल्प मत कर, संपूर्ण दुर्गुण और सूक्ष्म तथा स्थूल पाप रूप वन से अलग हो । सदगुरु, साधु और भक्त जनों की साक्षी सुनकर, सुन्दर बुद्धि द्वारा समझ, तो तेरा कार्य सिद्ध६ होगा ।
✦ सब जगत विषयों के संग से जल रहा है, सांसारीक प्राणियों में महान्७ दु:ख की ही अधिकता८ सुनी जाती है । निष्कामी संत जन हृदय में नाम रूप धन धारण करके शीतल हुये बैठे हैं ।
✦ तू भी अचल९ रहने वाले प्रभु के संग होकर अर्थात भजन करके अपनी शक्ति१० को रखले, अर्थात विषयों में नष्ट करने से बचाले । क्यों कि तेरी आयु थोड़ी ही है, यह शरीर जाने वाला ही है । अरे ! समय का महत्व समझ, एक क्षण का समय भी अमूल्य होता है । अत: प्रति क्षण ही राम का नाम रट कर जीवन सफल कर ले ।
(क्रमशः)

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