🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏🇮🇳 *卐सत्यराम सा卐* 🇮🇳🙏
🌷🙏🇮🇳 *#भक्तमाल* 🇮🇳🙏🌷
https://www.facebook.com/DADUVANI
*किहिं मारग ह्वै आइया, किहिं मारग ह्वै जाइ ।*
*दादू कोई ना लहै, केते करैं उपाइ ॥*
*(#श्रीदादूवाणी ~ लै का अंग)*
===========
*सौजन्य ~ #भक्तमाल*, *रचनाकार ~ स्वामी राघवदास जी,*
*टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान*
*साभार ~ श्री दादू दयालु महासभा*, *साभार विद्युत संस्करण ~ रमा लाठ*
*मार्गदर्शक ~ @Mahamandleshwar Purushotam Swami*
.
*पावन पै जु रहै सु सनातन,*
*तीन दिना पय ल्यात पियारो ।*
*साँवर रूप किशोर रहो कत,*
*भ्रात हु च्यार पिता हि विचारो ॥*
*ग्राम हि बूझत पात कहूँ नहिं,*
*देख चहूँ दिशि नैन भरारो१ ।*
*आय मिलै अबके कबहूं फिर,*
*जान न द्यौं शिर लाल पगारो२ ॥३२०॥*
.
सनातनजी नन्द गाँव में पावन नामक सर पर रहते थे। वहाँ एक साँवले किशोर गोप बालक ने उन्हें तीन दिन तक दूध लाकर दिया।
.
इनकी सुन्दरता देख कर तीसरे दिन सनातनजी ने पूछा- लाला ! तुम कहाँ रहते हो ? गोप बालक ने कहा-"हम चार भाई हैं, अमुक पिता है और अमुक गाँव में रहते हैं।
.
सनातनजी ने उस गाँव में जाकर पूछा। किन्तु उन हरि का घर कहीं भी नहीं मिला। फिर चारों ओर खोज कर थक गये। तब नेत्रों में अश्रु भर१, प्रभु-प्रेम में निमग्न हो,
.
अपने मन में ही कहने लगे कि- वे चित्तचोर लाल पगड़ी२ वाले अब के यदि मिल जायेंगे तब तो फिर उनको जाने ही नहीं दूँगा” ॥
(क्रमशः)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें