रविवार, 26 मार्च 2023

= १७ =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏 *卐 सत्यराम सा 卐* 🙏🌷
https://www.facebook.com/DADUVANI
*दादू मेरा तेरा बावरे, मैं तैं की तज बान ।*
*जिन यहु सब कुछ सिरजिया, करता ही का जान ॥*
============
*साभार : @Subhash Jain*
.
*अहोभाव*
बुद्ध ने कहा: ये तीन अग्नियां हैं, जिनमें हर आदमी जल रहा है। हर आदमी इन तीन लपटों में घिरा है। और इन तीन लपटों से तुम्हारे भीतर अहंकार पैदा होता है। क्रोध, अहंकार का भोजन है। तृष्णा, अहंकार का फैलाव है। लोभ, अहंकार का पैर जमा कर खड़ा हो जाना है।
.
जो मेरा है वह मेरा है, और जो तेरा है वह भी तेरा नहीं रहने दूंगा, उसे भी मेरा करके रहूंगा ! फैलूंगा, घेर लूंगा सारी पृथ्वी को ! इन तीन लपटों में तुम जलते हो तो तीनों लपटों का जो परिणाम है—वह है अहंकार ! और अहंकार नरक है। बुद्ध ने कहा: अगर ये तीन लपटें बुझ जाएं तो अहंकार भी बुझ जाता है। क्योंकि ये तीन लपटें अहंकार के लिए ईंधन का काम करती हैं।
.
जो तुम्हारे पास नहीं है, उसे चाहो मत। और जो तुम्हारे पास है, उस पर मालकियत मत रखो। प्रभु की कृपा कि तुम्हारे पास है और जब लेना चाहे ले ले! जिसने दिया है वह वापस ले ले, तो तुम अड़चन मत डालो। और, लोग अगर दौड़ रहे हैं धन पाने और तुम्हारे मार्ग में बाधा डाल देते हैं, तो क्रोध मत करो। क्योंकि तुम भी उनके मार्ग में बाधा डाल रहे हो। तुम्हें मार्ग में पाकर ही तो वे हटा रहे हैं। तो उन जगहों से हट जाओ, जहां क्रोध पैदा होता हो।
.
लोभ, क्रोध और वासना—ये तीनों अगर न हों तो तुम्हारा अहंकार बुझ जाएगा। और जहां अहंकार बुझा कि शून्य पैदा हुआ। उसी शून्य में परमात्मा अवतरित होता है। उसी खाली जगह में। अहंकार जिस सिंहासन पर विराजा है, उसी सिंहासन पर परमात्मा भी बैठेगा। अहंकार को हटा दो। सिंहासन खाली करो।
.
नन्हीं—नन्हीं बुंदिया मेहा बरसे, सीतल पवन सुहावन की।
और जब सब शांत हो जाता है भीतर—अहंकार, वासना, तृष्णा, मोह, लोभ, क्रोध—स्वभावतः शीतल हवाएं बहने लगती हैं। सुगंधित हवाएं बहने लगती हैं।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, आनंद मंगल गावन की।
मीरा कहती है: आ गई घड़ी—आनंद मंगल गावन की ! आ गई घड़ी नाचने की ! आ गई घड़ी पैर में घुंघरू बांध लेने की ! आ गई घड़ी, जिसकी प्रतीक्षा थी जन्मों—जन्मों से !
.
ओशो : पद घुंघरू बांध - मीरा बाई

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें