गुरुवार, 13 अप्रैल 2023

जोगी जग मैं क्यांन्हैं फिरै

🌷🙏 🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏 卐 *सत्यराम सा* 卐 🙏🌷
🌷🙏 *#संतटीलापदावली* 🙏🌷
https://www.facebook.com/DADUVANI
*दादू जन ! कुछ चेत कर, सौदा लीजे सार ।*
*निखर कमाई न छूटणा, अपने जीव विचार ॥*
.
*संत टीला पदावली*
*संपादक ~ ब्रजेन्द्र कुमार सिंहल*
*साभार विद्युत संस्करण ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी*
===========
राग आसावरी ॥११॥
जोगी जग मैं क्यांन्हैं१ फिरै, 
बेसि गुफा में ध्यांन न धरै ॥टेक॥
साहिब कारणि लीया जोग । 
तजि बिषिया इंद्री रस भोग ॥
आपण देषै दिषांवण जाइ । 
उलटि अपूठी न बैठे आइ ॥
आवत जातां होइ न उपाधि । 
रांम रसांइन घर मैं साधि ॥
गुर दादू यूँ कह्यौ बिचारि । 
टीला रे तूं हिरदे धारि ॥४५॥
(पाठान्तर : १. क्यांहनैं)
.
हे जोगी ! तू जगत् में क्यों फिरता-फिरता है । गुफा में बैठकर क्यों नहीं ध्यान लगाता है । साहिब को प्राप्त करने के लिए इन्द्रियों के विषय भोगों के रस=आनन्द को त्यागकर तूने जोग धारण किया था । आप स्वयं तो अपने चरित्रों को देखता नहीं है उलटे दूसरों को उनके दोषों को दिखाता फिरता है । क्यों नहीं, इन सांसारिक क्रिया-कलापों से विमुख होकर निश्चल होने के लिए गुफा में आकर बैठता है....
.
जिससे कि आने-जाने में होने वाली कोई भी उपाधियाँ तुझको लक्ष्यच्युत न कर सकें । राम नाम रूपी रसायन की साधना घर में ही बैठकर कर । गुरुमहाराज दादू ने विचारपूर्वक उपर्युक्त बात कही है । टीला कहता है, तू इन बातों को हृदय में धारण कर ले ॥४५॥
(क्रमशः)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें