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*काया कठिन कमान है, खांचै विरला कोइ ।*
*मारै पंचों मृगला, दादू शूरा सोइ ॥*
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*साभार ~ @Chandra Prakash Soni*
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विश्व में आज तक की सबसे महंगी जमीन कहाँ पर बिकी है ???? #हमारे_भारत में ही #पंजाब में स्थित #सिरहिन्द में और विश्व की इस सबसे महंगी भूमि को ख़रीदने वाले महान व्यक्ति का नाम था #दीवान_टोडर_मल ....
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गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे-छोटे साहिबज़ादों बाबा फ़तह सिंह और बाबा ज़ोरावर सिंह को यहीं सिरहिन्द के फ़तहगढ़ साहिब में मुग़लों के तत्कालीन फ़ौजदार वज़ीर खान ने जीवित ही दीवार में चिनवा दिया था.
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दीवान टोडर मल ने वज़ीर खान से साहिबज़ादों के पार्थिव शरीर की माँग की और वह भूमि जहाँ वह शहीद हुए थे वहीं पर उनकी अंत्येष्टि करने की इच्छा प्रकट की .... वज़ीर खान ने धृष्टता दिखाते हुए भूमि देने के लिए एक अटपटी और अनुचित माँग रखी....
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वज़ीर खान ने माँग रखी कि इस भूमि पर सोने की मोहरें बिछाने पर जितनी मोहरें आएँगी वही इस भूमि का दाम होगा....... दीवान टोडर मल के अपने सब भंडार ख़ाली करके जब मोहरें भूमि पर बिछानी शुरू कीं तो वज़ीर खान ने धृष्टता की पराकाष्ठा पार करते हुए कहा कि मोहरें बिछा कर नहीं बल्कि खड़ी करके रखी जाएँगी ताकि अधिक से अधिक मोहरें वसूली जा सकें. .
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ख़ैर.....दीवान टोडर माल ने अपना सब कुछ बेच-बाच कर और मोहरें इकट्ठी कीं और 78000 सोने_की_मोहरें_देकर_चार_गज़ भूमि को ख़रीदा ताकि गुरु जी के साहिबज़ादों का अंतिम संस्कार वहाँ किया जा सके......विश्व के इतिहास में ना तो ऐसे त्याग की कहीं कोई और मिसाल मिलती है ना ही कहीं पर किसी भूमि के टुकड़े का इतना भारी मूल्य कहीं और आज तक चुकाया गया.
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जब बाद में गुरु गोविन्द सिंह जी को इस बारे में पता चला तो उन्होंने दीवान टोडर मल से उनके त्याग के बदले में कुछ माँगने को कहा. दीवान जी ने गुरु जी से जो माँगा उसकी कल्पना करना भी असम्भव_है ! उन्होंने गुरु जी से कहा की यदि कुछ देना ही चाहते हैं तो कुछ ऐसा वर दीजिए की मेरे घर पर कोई पुत्र ना जन्म ले और मेरी वंशावली यहीं मेरे साथ_ही_समाप्त_हो_जाए.
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गुरु जी ने दीवान जी से इस अद्भुत माँग का कारण पूछा तो दीवान जी ने उत्तर दिया कि गुरु जी, यह जो भूमि इतना महंगा दाम देकर ख़रीदी गयी और आपके चरणों में न्योछावर की गयी मैं नहीं चाहता की कल को मेरे वंश आने वाली नस्लों में से कोई कहे कि यह भूमि मेरे पुरखों ने ख़रीदी थी.
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यह थी निस्वार्थ त्याग और भक्ति की आज तक की सबसे बड़ी मिसाल.......आज किसी धार्मिक स्थल पर चार_ईंटे लगवाने पर भी लोग अपने नाम_की_पट्टी पहले लगवाते हैं..... एक_पंखा तक लगवाने पर उसके परों पर अपने नाम छपवाते हैं..... अपने आप को सबसे बड़ा बलिदान का प्रतीक बताते हुए देशवासियों को मूर्ख_बनाते_है.
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हमारे पुरखे जो जो बलिदान देकर गए हैं वह अभूतपूर्व है और इन्ही बलिदानों के कारण ही हम लोगों का अस्तित्व अभी तक है......हमारी इतनी औक़ात नहीं कि हम इस बलिदान के हज़ारवें भाग का भी ऋण उतार सकें. यह सब जिन दिनों में हुआ यह वही दिन थे जिन दिनों में आज कल हम मूर्ख_भारतीय जोकर जैसे कपड़े पहन कर क्रिसमस जैसे विदेशी त्योहार मनाते हुए बेगानी_शादी_में_दीवाने हुए जाते हैं.

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