गुरुवार, 28 दिसंबर 2023

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*पहली किया आप तै, उत्पत्ति ओंकार।*
*ओंकार तै उपजै, पंच तत्त्व आकार॥*
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*साभार ~ @Subhash Jain*
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दादू कहते हैं, परमात्मा से जो पहली होने की घटना घटी, वह है ओंकार, जो पहला उदघोष हुआ, वह है ओंकार, जो पहली सृष्टि हुई, वह है ओंकार; जो पहली लहर उठी, वह है ओंकार। ध्यान रखना, परमात्मा में जो पहली लहर है, वही तुममें अंतिम लहर होगी, अगर परमात्मा में जाना है।
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ओंकार पहली लहर है परमात्मा की अर्थात, हुआ, परमात्मा संसार में आया; स्रष्टा सृष्टि बना, लहर उठी। और दादू कहते हैं कि फिर ओंकार से पांच महा तत्व पैदा हुए-- पृथ्वी, आकाश, जल, अग्नि, वायु । सारा संसार फिर उसी शब्द की, अलग-अलग जोड़ों से निर्मित हुआ।
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अगर तुम्हें वापस जाना है तो उसी मार्ग से लौटाना होगा। ओंकार अंतिम बात होगी तुम्हारे जीवन में। उसके आगे परमात्मा है। उसके आगे फिर कुछ भी नहीं है। जिस दिन ओंकार भी शांत हो जाएगा, और महाशून्य रह जाएगा, उस दिन सिर्फ परमात्मा रह जाएगा; उस दिन तुम परमात्मा हो। 
ओशो

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