गुरुवार, 18 जनवरी 2024

आंगन निम्ब दिखावत सूरज

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*दादू तन मन लाइ कर, सेवा दृढ़ कर लेइ ।*
*ऐसा समर्थ राम है, जे मांगै सो देइ ॥*
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*सौजन्य ~ #भक्तमाल*, *रचनाकार ~ स्वामी राघवदास जी,*
*टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान*
*साभार ~ श्री दादू दयालु महासभा*, *साभार विद्युत संस्करण ~ रमा लाठ*
*मार्गदर्शक ~ @Mahamandleshwar Purushotam Swami*
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*श्रीनिम्बार्कजी की पद्य टीका*
*इन्दव-*
*नाम निबारक ख्यात भयो इमि,*
*ग्राम जती इक ता दल दीयो ।*
*भोजन बेर लगी निशि आवत,*
*जीमत ना पदर वेद सु लीयो ॥*
*आंगन निम्ब दिखावत सूरज,*
*पाय चुके निश आवन कीयो ।*
*देखि प्रभाव भयो जग भावे हु,*
*नाम परयो सुन के जन जीयो ॥३७८॥*
एक दिन एक यति आपके यहाँ पधारे थे । आपने उनको भोजन का निमंत्रण दिया था; किन्तु दोनों महानुभावों में भगवत्सम्बन्धी वार्ता चल पड़ी अतः उस सत्संग के समय आपको समय का ध्यान नहीं रहा, सायंकाल हो गया ।
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आपने फिर यतिजी को कहा- "भोजन करिये ।" यतिजी ने कहा- "मैंने वेद वचन के अनुसार व्रत धारण कर रखा है, रात्रि को भोजन नहीं करूँगा ।" यह सुनकर, आपने सोचा- मेरे यहाँ यति रात्रि में भूखा ही सो जाय यह तो उचित नहीं है ।
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अतः आपके आश्रम के आंगन में एक निम्ब का वृक्ष था उसमें आपने यतिजी को सूर्य दिखाया । सूर्य को देखकर यतिजी ने भोजन कर लिया । यति के भोजन पाने के पश्चात् फिर रात्रि का आगमन हो गया ।
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आपका यह प्रभाव देखकर जगत् के लोगों की आप पर अति श्रद्धा हो गई । निम्ब में सूर्य दिखाने से ही आपका नाम "निम्बादित्य-निम्बार्क" प्रचलित हुआ है । आपके इस चरित्र को सुनकर, आपके आश्रित जीव अति आनन्द से जीवन धारण करने लगे । जहाँ निम्ब में सूर्य दिखाया था, वह स्थान गोवर्धन के पास 'निम्बग्राम' से प्रसिद्ध है । माट गाँव नीम गाँव नहीं है । वे यति जहाँ रहते थे वह यतिपुरा ग्राम है ।
(क्रमशः)

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