बुधवार, 31 जनवरी 2024

*मान अचंभ कहा किमि सीख हु*

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏🇮🇳 *卐सत्यराम सा卐* 🇮🇳🙏
🌷🙏🇮🇳 *#भक्तमाल* 🇮🇳🙏🌷
https://www.facebook.com/DADUVANI
*दादू परमारथ को सब किया, आप स्वारथ नांहिं ।*
*परमेश्‍वर परमारथी, कै साधू कलि मांहिं ॥*
==========
*सौजन्य ~ #भक्तमाल*, *रचनाकार ~ स्वामी राघवदास जी,*
*टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान*
*साभार ~ श्री दादू दयालु महासभा*, *साभार विद्युत संस्करण ~ रमा लाठ*
*मार्गदर्शक ~ @Mahamandleshwar Purushotam Swami*
.
*बालन मांहिं पढो रु कढो बड़,*
*पूछ कहूँ सु स्वभावहि रीझै ।*
*गंग स्वरूप कहो जु लहो दृग,*
*सौ सु शलोक करे सुन भीजै ॥*
*कंठ करयो इक पाठ सुनावत,*
*देहु लगाय दया अब कीजै ।*
*मान अचंभ कहा किमि सीख हु,*
*आप मयातरै यहै सुन लीजै ॥३८०॥*
केशव भट्टजी ने कहा - "बालकों में तो पढ़ते हो और मुख से बड़ी बड़ी बातें बौलते हो, फिर भी जो तुम पूछोगे, वह हम कहेंगे । कारण-तुम्हारे शील स्वभाव से हम प्रसन्न हैं ।"
.
चैतन्य महाप्रभु बोले- "गंगाजी का स्वरूप कहिये ।" भट्टजी बोले-"जो नेत्रों से देख रहे हो, वही गंगाजी का स्वरूप है ।" चैतन्यजी ने कहा- "नये श्लोक बनाकर कहिये ।" तब भट्टजी ने १०० नये श्लोक बनाकर गंगाजी का स्वरूप तथा महिमा सुनाई ।
.
चैतन्यजी उनको सुन कर प्रसन्न' हुये और उनमें से एक श्लोक कंठ करके उसका पाठ भट्टजी को सुनाया तथा कहा-" अब दया करके इसका अर्थ भी लगा दीजिये, मुझे सुनने की बहुत इच्छा है ।"
.
भट्टजी ने आश्चर्य मानकर कहा- "तुमने यह कैसे सीख लिया ?" चैतन्यजी ने कहा- " आपकी दया से यह सुन लिया था और जिसने आपको बताने की शक्ति दी है, उसी ने मुझे सीखने की शक्ति दी है ।
(क्रमशः)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें