रविवार, 7 जनवरी 2024

*३९. बिनती कौ अंग १०१/१०४*

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏 *卐 सत्यराम सा 卐* 🙏🌷
*#पं०श्रीजगजीवनदासजीकीअनभैवाणी*
*https://www.facebook.com/DADUVANI*
*श्रद्धेय श्री @महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी, @Ram Gopal Das बाबाजी के आशीर्वाद से*
*वाणी-अर्थ सौजन्य ~ @Premsakhi Goswami*
.
*३९. बिनती कौ अंग १०१/१०४*
.
अंग मंहि हम कौं राखि ल्यौ, ए देही हर पहरि७ ।
कहि जगजीवन रांमजी, क्रिपा दया करि महरि८ ॥१०१॥
(७. हर पहरि=प्रतिक्षण)   (८. महरि=करुणा)
संतजगजीवन जी कहते हैं कि हे प्रभु हमें हर क्षण अपना सानिध्य दें । संत कहते हैं कि आप हम पर करुणा करें ।
.
हा हा दीनदयाल हरि, द्रवौ दया करि रांम ।
कहि जगजीवन प्रांण मन, सतगुरु सुमिरै रांम ॥१०२॥
संतजगजीवन जी कहते हैं कि हे दीनदयाल प्रभु आप द्रवित हो दया करें । हमारे प्राण और मन सतगुरु व राम स्मरण करते रहें ।
.
कहि जगजीवन रांमजी, रसानां हरि व्रत रांम ।
अकल सकल हरिगुण हरष, कहै सुनै सब ठांम ॥१०३॥
संतजगजीवन जी कहते हैं कि जिह्वा हर समय प्रभु नाम रटते रहे । हम सब हर स्थान पर कहते सुनते रहैं ।
.
ग्यांन गरीबी बिरह हरि, जे तुम कौं भावै रांम ।
कहि जगजीवन मिहर करि, सो मोहि दीजै नांम ॥१०४॥   
संतजगजीवन जी कहते हैं कि हे प्रभु ज्ञान दीनता व विरह में से जिससे भी आपको प्रसन्न कर सकें वह ही दया करुणा कर हमें दीजिये ।
(क्रमशः) 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें