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🦚 *#श्रीदादूवाणी०भावार्थदीपिका* 🦚
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भाष्यकार : ब्रह्मलीन महामण्डलेश्वर स्वामी आत्माराम जी महाराज, व्याकरण वेदांताचार्य, श्रीदादू द्वारा बगड़, झुंझुनूं ।
साभार : महामण्डलेश्वर स्वामी अर्जुनदास जी महाराज, बगड़, झुंझुनूं ।
*#हस्तलिखित०दादूवाणी* सौजन्य ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
*(#श्रीदादूवाणी शब्दस्कन्ध ~ पद #३९५)*
*राग भैरूं ॥२४॥**(गायन समय प्रातः काल)*
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*३९५. दादरा*
*हिंदू तुरक न जानूं दोइ ।*
*सांई सबन का सोई है रे, और न दूजा देखूं कोइ ॥टेक॥*
*कीट पतंग सबै योनिन में, जल थल संग समाना सोइ ।*
*पीर पैगम्बर देवा दानव, मीर मलिक मुनिजन को मोहि ॥१॥*
*कर्ता है रे सोई चीन्हौं, जनि वै क्रोध करे रे कोइ ।*
*जैसे आरसी मंजन कीजे, राम रहीम देही तन धोइ ॥२॥*
*सांई केरी सेवा कीजे, पायो धन काहे को खोइ ।*
*दादू रे जन हरि जप लीजे,जन्म जन्म जे सुरिजन होइ ॥३॥*
हिन्दू और मुसलमानों में कोई भेद नहीं हैं । दोनों एक ही हैं । मैं तो उन दोनों में एक ही परमात्मा को देखता हूँ । जलस्थल में रहने वाले कीट पतंगआदि योनियों में सर्वत्र एक परमात्मा ही व्याप्त हो रहा है । पीर पैगम्बर देवता दानव दैत्य मुनिवर्य सम्राट् इन सब को सृष्टिकर्ता परमात्मा ने अपनी माया से मोहित कर रखा हैं ।
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अतः सब में सृष्टिकर्ता परमात्मा को ही जानो । किसी पक्ष विशेष का आश्रय लेकर विना विचार के किसी पर भी क्रोध मत करो । जैसे स्वच्छ दर्पण में शरीर आदि का प्रतिबिम्ब स्वच्छ दीखता है । ऐसे ही शुद्ध अन्तःकरण में राम रहीम एक ही परमत्मा दीखता है ।
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अतः निष्पक्ष मार्ग से चलते हुए परमात्मा को भजो । इस मानव जन्म को प्रमाद में व्यर्थ ही क्यों खो रहे हो । हे मानव ! वह परमात्मा सब का सहायक और रक्षक हैं उसी के नाम का स्मरण करके उसको प्राप्त करो और अपने जीवन को सफल बनाओ ।
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लिखा है कि –
अपने मन को प्रिय लगने वाले श्रीकृष्णनामामृत का प्रेम से रसास्वादन करने की चेष्टा के साथ जो जिव्हा से अविराम सेवन किया जाता है उसकी अनुपम महत्ता को कौन वर्णन कर सकता हैं ।
वासुदेव के नाम का दिव्य कीर्तन संपूर्ण मंगलों में भी परम मंगलकारी आयु की वृद्धि करने वाला रोग नाशक तथा भोग और मोक्ष का दान करने वाला हैं । श्रीकृष्ण भगवान् का नाम संकीर्तन प्रेमसंपदा की प्राप्ति के लिये प्रबल एवं श्रेष्ठ साधन कहा गया हैं । वह श्रेष्ठ आकर्षण मन्त्र की तरह चित्त को आकृष्ट करने वाले हैं ।
(क्रमशः)

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