बुधवार, 10 अप्रैल 2024

*श्री रज्जबवाणी गरीबदासजी के भेंट सवैया ~ २२*

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*ऐसा और न देखिहौं, सब पूरण कामा ।*
*दादू साधु संगी किये, उन आतम रामा ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ पद. ३२३)*
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सवैया ग्रन्थ ~ भाग ३, श्री स्वामी गरीबदासजी के भेंट सवैया ।
टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
साभार विद्युत संस्करण ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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सवैया ग्रंथ भाग ३
श्री स्वामी गरीबदासजी के भेंट सवैये २
दादू के पाट१ दिपै२ दिन ही दिन,
दास गरीब गोविन्द को प्यारे ।
बाल जती रु जनम्म३ को योगी जु,
शूर सधीर महा मन सारो ॥
उदार अपार सबै सुख दाता हो,
संतन जीवन प्राण अधारो ।
हो४ रज्जब राम रच्यो जुग जानि के,
पंथ को भार निवाहन हारो ॥१॥२२॥
गोविन्द के प्यारे गरीबदासजी दादूजी की गद्दी१ पर प्रतिदिन अधिक अधिक प्रकाशित२ हो रहे हैं ।
ये बालयति हैं, जन्म के योगी हैं, साधन-संग्राम में शूर वीर हैं महान धैर्य से युक्त हैं मन के पूरे हैं,
अपार उदार हैं, सबको सुख दाता हैं, संतों के जीवन रूप तथा प्राणाधार हैं,
हे सज्जनों ! इस कलियुग के समय को जानकर ही पंथ का भार निर्वाह करने वाले गरीबदासजी को रामजी ने उत्पन्न किया है ।
(क्रमशः)

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