शुक्रवार, 21 जून 2024

= १४६ =

*🌷🙏🇮🇳 #daduji 🇮🇳🙏🌷*
*🌷🙏 卐 सत्यराम सा 卐 🙏🌷*
*https://www.facebook.com/DADUVANI*
*सकल शिरोमणि सब सुख दाता,*
*दुर्लभ इहि संसार ।*
*दादू हंस रहैं सुख सागर, आये पर उपकार ॥*
=============
*साभार ~ @Subhash Jain*
.
*आत्म ज्ञान का साक्षात रूप हैं ओशो*
- ब्रह्मर्षि सुभाष पत्री(संत)
ओशो जैसा आदमी न जन्म लिया है न जन्म लेगा। बुद्धों की श्रेणी में वह श्रेष्ट हैं। उनकी पुस्तकें उनकी उत्कृष्ट कृति हैं। उनकी आंखों में एक चुम्बकीय शक्ति है जो किसी अन्य की आंखों में नहीं दिखती।
.
ओशो भूमण्डल पर बीसवीं सदी की आध्यात्मिक क्रांति में कोहिनूर रत्न के समान हैं। भारत में इतने महान आत्मविज्ञानी का जन्म लेना बहुत आश्चर्य की बात है। उन्होंने मूढ़ भावों से भरे हिन्दुस्तानियों को भाव संपत्ति, विशाल-दृक्पथ प्रदान कर एक नई जीवन रीति का दर्शन कराया। 
.
ध्यान की महत्ता को विश्व भर में फैलाया। वे नव्य ध्यान बुद्ध हैं। उन्होंने भौतिक जीवन के सुमधुर सौरभ का विवरण बहुत अच्छी तरह दिया है । इहलोक में जीवन के शास्त्रवेत्ता हैं ओशो। अपनी अद्भुत वाणी से, सहृदयता से, लोकज्ञान से उन्होंने दुनिया को हिला दिया। ऐसे लोकनायक हैं ओशो।
.
इस नवीन युग में यदि कुछ सुनना है तो रजनीश की वाणी को ही सुनना है। इनका लिखा हुआ साहित्य तो कम है परन्तु प्रवचन साहित्य तो हिमालय समान विशाल है। उनकी प्रकाशित पुस्तकों की संख्या लगभग छः सौ पचास है। 
.
उनकी अद्वितीय मधुर वाणी अनेकानेक ऑडियो और वीडियो कैसेट्स के माध्यम से हम सुन देख सकते हैं। जो लोग ओशो की अमृत वाणी को नहीं सुन पाते वे बदनसीब हैं। आत्मज्ञान का साक्षात् रूप हैं ओशो। केवल साठ वर्ष जीकर भी जिन्दगी को कैसे जीना चाहिए, इसका अद्भुत विवरण उन्होंने दिया है।
.
धरती के पूरे आध्यात्मिक चरित्र में ओशो से एक नए युग का सूत्रपात हुआ। उनकी वाणी सुनने मात्र से ही मुक्ति मिल जाती है। चेहरा देखने मात्र से आत्मसंतोष प्राप्त होता है। वे एक ऐसे असाधारण समाजवादी हैं जिन्होने दो व्यक्तियों के बीच की दीवार को गिरा दिया है। 
.
नव्य युगकर्ता ओशो ने दो मतों के बीच के मूढ़ भेदभाव की उन्होंने आलोचना की है तथा दो जातियों तथा दो राष्ट्रों के बीच की सीमा रेखा को ध्वस्त कर दिया है। पिरामिड स्पिरिचुअल सोसाइटी के जान और मास्टर्स के लिए अत्यन्त प्रिय आदर्श मूर्ति हैं-ओशो।
.
नूतन, निस्संकोच, निर्भय, नित्यानंदमय जीवन शैली को 'देवलोक' से 'भूलोक' पर उतार लाने का महान साहस करने वाली दिव्य मूर्ति हैं ओशो। ओशो के नाम से गलत प्रचार करने वाले, उनकी पुस्तकों को पढ़े बिना ही, उनकी निन्दा करने वाले, नकारात्मक लोग हैं.. 
सद्गुरु ओशो

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें