🌷🙏🇮🇳
*#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏🇮🇳
*卐सत्यराम
सा卐* 🇮🇳🙏
🌷🙏🇮🇳
*#भक्तमाल* 🇮🇳🙏🌷
*https://www.facebook.com/DADUVANI*
*दादू
आनंद सदा अडोल सौं, राम सनेही साध ।*
*प्रेमी
प्रीतम को मिले, यहु सुख अगम अगाध ॥*
.
*सौजन्य ~ #भक्तमाल*, *रचनाकार ~ स्वामी
राघवदास जी,*
*टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर,
राजस्थान*
*साभार ~ श्री दादू दयालु महासभा*, *साभार विद्युत संस्करण ~
रमा लाठ*
*मार्गदर्शक
~ @Mahamandleshwar Purushotam Swami*
=========
*खेत
पक्यो लख साधु सु तोरत,*
*सूख मुखै रखवार पुकारे ।*
*नाम कह्यो
सुनियो सु हमार हि,*
*आप सुना सब होत सुखारे ॥*
*ले सु
प्रसाद गये जन साम्हन,*
*मो अपनाय रु आज उधारे ।*
*ज्यांत१ भये चरचा सु उचारे ॥४०६॥*
.
एक समय
चतुर्भुजजी का गेहूँ चने का खेत पका हुआ था, उधर से एक संतों
की जमात निकली । पका हुआ खेत देखकर उस जमात के कुछ साधु उसमें से तोड़ने लगे ।
रखवारे का पुकारते पुकारते मुख सूख गया नहीं माने । तब उसने कहा- अब अधिक नहीं
तोड़िये, यह चतुर्भुजजी का खेत है । चतुर्भुजजी का नाम कहा
तब तो उसे सुनकर संत कहने लगे, फिर तो यह हमारा ही अन्न है ।
.
होले
बनाने के लिये गेहूँ चने इच्छानुसार निशंक होकर ले लिये । किसी ने जाकर चतुर्भुजजी
को भी यह सुना दिया । आप सुनकर बड़े प्रसन्न हुये और प्रसाद लेकर संतों के सामने
गये तथा प्रसन्न मुख से कहने लगे- "आज आपने मुझे अपनाकर मेरा उद्धार कर दिया
है, मैं धन्य हूँ ।" फिर अपने स्थान पर लाकर नाना
भाँति का भोजन जिमाये । पश्चात् परस्पर भक्तिसंबन्धी चर्चा करते हुई, प्रभु-प्रेमरस पान करके परम तृप्ति को प्राप्त हुए ॥
(क्रमशः)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें