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*नूर तेज ज्यों जोति है, प्राण पिंड यों होइ ।*
*दृष्टि मुष्टि आवै नहीं, साहिब के वश सोइ ॥*
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*साभार ~ @Subhash Jain*
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केवल योगासन से काम नहीं चलेगा !
योगासन तुम्हें स्वास्थ्य दे सकता है, लंबी आयु दे सकता है, इसमें कोई दो मत नहीं हैं। क्योंकि सुन्दर व्यायाम है; मगर व्यायाम शरीर के पार नहीं जाता। शरीर को मोड़ो-मरोड़ो, ऐसा झुकाओ, वैसा झुकाओ। स्वभावतः शरीर लोचपूर्ण रहेगा, ज्यादा दिन तक युवा रहेगा। मगर युवा होने का करोगे क्या ? कुछ न कुछ गलत ही तो करोगे।
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ठीक करने की दृष्टि कहां से आ जाएगी ? क्या तुम सोचते हो योगासन करने से सम्यक दृष्टि का जन्म होगा ? वह संभव नहीं है। और भारत योगासन के नाम पर बहुत भटक गया है, खूब भरमाया हुआ है। कोई नाक पर एक अंगुली लगाए सांसे ले रहा है, कोई सिर के बल खड़ा हुआ है। कोई यह बंध साध रहा है, कोई वह बंध साध रहा है, और जिंदगी उनकी इसी में बीत रही है- बंधों के साधने में।
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और मुक्ति कब साधोगे ? ये बंध ही बंध साधते रहोगे ! यह देह तो चली जाएगी। फिर चाहे योगासन से पुष्ट हुई हो, चाहे दंड-बैठक से पुष्ट हुई हो और चाहे पाश्चात्यढंग के व्यायाम से पुष्ट हुई हो, यह देह तो चली जाएगी। इस देह के साथ सब योगासन भी चला जाएगा। कुछ साधो जो मौत के पार तुम्हारे साथ चलेगा।
Osho
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