शुक्रवार, 3 जनवरी 2025

*राम-रंग ॥*

🌷🙏 🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏 *卐सत्यराम सा 卐* 🙏🌷
🌷🙏 *#बखनांवाणी* 🙏🌷
*https://www.facebook.com/DADUVANI*
*बखनां~वाणी, संपादक : वैद्य भजनदास स्वामी*
*टीकाकार~ब्रजेन्द्र कुमार सिंहल*
*साभार विद्युत संस्करण~महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी*
.
*हरि रंग कदे न ऊतरै, दिन दिन होइ सुरंगो रे ।*
*नित नवो निरवाण है, कदे न ह्वैला भंगो रे ॥*
=============
*राम-रंग ॥*
राम रँगै रँग लाया रे ।
सहजि रँग्या रँगि आया रे ॥टेक॥
ररैं ममैं की भाँति लगाईं ।
तिहि रँगि तौ रैंणी रँगि आई ॥
प्रेम प्रीति का बेगर दीया ।
हरि रँग माँहै मन रँगि लिया ॥
अैसौ रंग लगायौ कोई ।
सो रँग रह्यौ घुलावट होई ॥
खोल्यौ खुलै न धोयौ जाई ।
अबिनासी रँग लियौ लगाई ॥
चित चहुँ दिसि थैं निर्मल कीया ।
तब बषनां रामि बहुत रँग दीया ॥३०॥
.
मेरे द्वारा मुझ स्वयं को राम-नाम-साधना रूपी रंग में रंगा जाना वास्तव में रंग लाया । रंगने रूपी साधना में अधिक परिश्रम करने की आवश्यकता तो पड़ी ही नहीं, उसमें किसी तरह के कोई विघ्न भी नहीं आये । अतः मन रूपी कपड़ा सहज में ही रामनाम साधना रूपी रंग में रंग = संलग्न हो गया ज्सिका परिणाम भी श्रेष्ठतम आया । सर्वप्रथम रामनाम की रटन रूपी किस्म (डिजाइन, प्रारूप) तैयार की । फिर अहर्निश रामराम रटन रूपी साधना में रैंणी रूपी सुरति = वृत्ति भी रंग गई ।
.
उस साधना रूपी रंग को पक्का करने के लिये उसमें भगवत्-प्रेम प्रीतिमय भक्ति रूपी बेगर = सहायक द्रव्यों की चाट (यथा फिटकरी वगैरह का सम्मिश्रण) दी । पश्चात् हरि की प्रेमाभक्ति में मन को सरोवर कर लिया । गुरुमहाराज ने मेरे मन में ऐसी रंग = रूचि उत्पन्न कर दी है कि वह दिन-प्रतिदिन घटने = हल्की होने के स्थान पर उल्टे अधिक चमकदार = परिपक्व ही होती है ।
.
मेरे मन पर मैंने अविनाशी रंग लगा लिया है जो हटाने पर हटता नहीं और धोने पर धुलता नहीं । चित्त को चारों ओर से हटाकर निर्मल = विषयवासना रूपी मलों से विनिर्मुक्त कर लिया है जिसके कारण रामजी ने कभी भी क्षय न होने वाला रंग रूपी अपना सानिध्य प्रदान किया है ॥३०॥
(क्रमशः)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें