शनिवार, 2 अगस्त 2025

करामात दिखाई

*॥ श्री दादूदयालवे नम: ॥*
*॥ दादूराम~सत्यराम ॥*
*॥आचार्य गरीबदासजी ॥*
*"श्री दादू पंथ परिचय" = रचना = संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान =*
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गरीबदासजी नारायणा दादूद्वारा में आ गये । उस दिन रात्रि में नाथ मंडली के सभी नाथों के सेली, सींगी, कर्णमुद्रा, नाद आदि सभी वस्तुयें अपने आप ही लुप्त हो गई । तब घबराकर अंत में सब नाथों ने निश्‍चय किया कि कल गरीबदासजी आये थे, उनसे कुछ नाथों ने छे़डछाड की थी । हो सकता है उन्होंने ही यह अपनी करामात दिखाई है । अत: हमको उनके पास ही चलना चाहिये । उनकी कृपा से ही हमारे कर्ण मुद्रादि पुन: मिलेंगे । 
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फिर वे सब नाथ मिलकर नारायणा दादूधाम में आये और गरीबदासजी महाराज को प्रणाम करके आपनी करणी के लिये क्षमा याचना करते हुये बोले - भगवन् ! हमारे शरीरों पर रहने वाले सांप्रदायिक चिन्ह सब के सब लुप्त हो गये हैं । हम उनकी पुन: प्राप्ति के लिये ही आपके पास आये हैं । आप की कृपा से हमारे चिन्ह सेली, सींगी, कर्ण, मुद्रा, नाद आदि मिल सकते हैं । अत: आप अवश्य कृपा करें । 
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नाथों के नम्रता पूर्वक कहे हुये वचनों को सुन कर गरीबदासजी ने कहा - मेरे भजन करने की गुफा में आप लोगों की सभी वस्तुयें पडी हैं, आप लोग अपनी अपनी पहचान कर ले आओ । (गरीबदासजी की गुफा जो अब उनके नामसे प्रसिद्ध हैं, वे उसी में भजन करते थे) । नाथों ने गुफा में जाकर देखा तो उनको - सर्प बिच्छू आदि विषधर जन्तु ही दिखाई दिये । 
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उन्हें देखकर नाथ लोग पुन: गरीबदासजी के पास आये और प्रार्थना की कि - “महाराज ! आप अपनी माया को समेटो और हम को कर्ण मुद्रा आदि देने की कृपा करो ।” गरीबदासजी ने अब उनको सर्वथा नम्र जानकर कहा - सेली तो हम रक्खेंगे और कर्ण मुद्रा आदि आप लोगों की वस्तुयें जैसे लुप्त हुई थीं वैसे ही प्रकट हो जायेंगी । तुम अपने स्थान पर लौट जाओ किन्तु भविष्य में पुन: किसी भी व्यक्ति के साथ ऐसा व्यवहार नहीं करना” । नाथों ने गरीबदासजी की बात मानकर कह दिया कि आगे ऐसा नहीं करेंगे । 
(क्रमशः)

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