बुधवार, 10 सितंबर 2025

एक हजार वैरागी संतों का आगमन

*#daduji*
*॥ श्री दादूदयालवे नम: ॥*
*॥ दादूराम~सत्यराम ॥*
*"श्री दादू पंथ परिचय" = रचना = संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान =*
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५ आचार्य जैतरामजी महाराज
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एक हजार वैरागी संतों का आगमन 
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एक समय आचार्य जैतराम जी महाराज के पास नारायणा दादूधाम पर स्थानीय संतों के भोजन कर लेने के पश्‍चात् अकस्मात् एक हजार वैरागी संत आ गये । उनको भोजन के लिये कहा - संतों भोजन करोगे ? उनके मुखिया महन्त ने कहा - भोजन तो अवश्य करेंगे किन्तु हमारे पक्का भोजन चलेगा । 
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फिर पूछा गया, पक्के भोजन में आपको क्या रुचिकर होगा वही बना दिया जाय । उन लोगों ने कहा - खीर, मालपु़डे, पुडी, शाक होना चाहिये । जैतराम जी महाराज ने कहा - ठीक है अब आप पंक्ति लगाये, भोजन तैयार है । संतों को ऐसा कहकर जैतरामजी महाराज ने संकल्प किया - “सब जलपात्र खीर से और पात्र मालपु़डे तथा पूडियों से और शाक के पात्र शाक से परिपूर्ण रुप से भर जायें ।” 
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बस संकल्प के साथ ही संकल्प के अनुसार सब पात्र भर गये । आगत साधुओं ने सोचा इतनी शीघ्र इतनी मूर्तियों की रसोई कैसे तैयार हुई होगी । किन्तु उनको कहा गया अब शीघ्र पंक्ति में विराजें । फिर पंक्ति लगी । सभी साधुओं ने इच्छानुसार तृप्त होकर पाया । भोजन अति स्वादिष्ट था । 
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अत: जीमने के पश्‍चात् उन लोगों ने सोचा यह इतना भोजन इन्होंने अपनी करामात से ही तैयार कराया है । कारण साधारण स्थानीय साधुओं से उन लोगों ने पता लगा लिया था । अत: करामात देखने के लिये उन लोगों ने जमात के पीछे स्थानधारी पांच हजार साधुओं के परोसे(पत्तलें) मांगे । 
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महाराज जैतरामजी ने अपने भंडारियों को कहा - ‘प्रसन्नता से जैसे ये माँगे वैसे ही परोसे इन को दे दो, संकोच नहीं करना ।” आचार्य जैतराम जी महाराज की आज्ञा होने पर उनको तृप्त कर दिया किन्तु भंडार में कोई कमी नहीं आई । सभी वस्तुयें विद्यमान रहीं ।  इस प्रकार जैतराम जी महाराज ने नारायणा दादूधाम के भंडार की अक्षय कीर्ति देश देशान्तरों में फैलाई थी । 
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उक्त घटना से यह पूर्ण रुप से सिद्ध होता है कि आप संकल्प सिद्ध संत थे उन एक हजार संतों ने मुक्त कंठ से जैतरामजी महाराज की भूरि - भूरि प्रशंसा की थी और वे सब प्रसन्न हो कर गये थे । जैतरामजी के समय नारायणा की शोभा वैकुंठ के समान थी । वे याचकों के लिये कल्प वृक्ष के समान थे । 
(क्रमशः)

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