*#daduji*
*॥ श्री दादूदयालवे नम: ॥*
*॥ दादूराम~सत्यराम ॥*
*"श्री दादू पंथ परिचय" = रचना = संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान =*
.
५ आचार्य जैतरामजी महाराज
.
जैतराम जी महाराज का प्रभाव राजस्थान के राजाओं पर भी बहुत अच्छा पडा था । जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, अलवर, किशनगढ, सीकर, खेतडी, म्हार सामोद, चोमू, डिग्गी आदि छोटे बडे नरेशों का तो नारायणा दादूधाम पर बहुत ही श्रद्धा भाव रहा है । जब आचार्य बैठते थे तब उक्त राजाओं से भेंट आती थी ।
.
दादू द्वारे से उनके लिये प्रसाद जाता था और नरेश बैठते तब भी दादू द्वारा की सेवा नहीं भूलते थे । कारण दादू द्वारे से भी शुभाशीर्वाद जाता था । किन्तु दादूजी से लेकर जैतराम जी के समय तक तो करौली नरेश भी दादू द्वारे के परमभक्त रहे थे । यह महन्त चेतनजी ने अपने रचित श्री दादू चरित्र में लिखा है, सो देखिये -
“बहुत दिवस सत्संग कराई, पीछे स्वामी रमणी जाई ॥”
अर्थात् - तत्कालीन करौली नरेश ने दादू जी का सत्संग बहुत दिनों तक किया था ।
.
फिर स्वामी दादू जी वहाँ से रामत कर गये थे किन्तु फिर भी.....
“जैतराम जी तक तो राजा, सब ही शिष्य धर्म की पाजा ॥३६॥
जैतराम को पत्र दिखाया, करौली राजा ने बुलवाया ।
सोउ पत्र हम देखा रु जाना, जैतराम दिया गुरु ज्ञाना ॥३७॥
वि. ४७ अर्थात् - दादूजी से जैतराम जी तक सब ही करौली नरेश दादू द्वारा पर पूर्ण श्रद्धा रखते हुये नारायणा दादूधाम के आचार्यों के ही शिष्य होते आये थे ।
.
जैतराम जी के समय में करौली नरेश ने जैतराम जी को पत्र दिया था और करौली बुलाया था तथा गुरु दीक्षा ली थी । वह पत्र चेतन देव जी ने देखा था । फिर आगे भी करौली नरेशों की श्रद्धा का परिचय कुंजदास जी की कुंज आदि करौली के स्थान देते ही है । फिर आगे भी करौली के स्थान देते ही हैं । उनका परिचय राघवदास जी के परिचय के साथ आगे देंगे ।
(क्रमशः)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें