गुरुवार, 11 सितंबर 2025

चारण को बेझ़ड देना

*#daduji*
*॥ श्री दादूदयालवे नम: ॥*
*॥ दादूराम~सत्यराम ॥*
*"श्री दादू पंथ परिचय" = रचना = संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान =*
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५ आचार्य जैतरामजी महाराज
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चारण को बेझ़ड देना 
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एक चारण प्राय: जैतराम जी महाराज से याचना करता था महाराज दीजिये । महाराज पूछते थे क्या चाहते हो ? तब वह कहता था कभी मांगूगा । एक दिन जैतरामजी महाराज सरोवर के कटि पर्यन्त जल में खडे - खडे स्नान कर रहे थे । 
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उस चारण ने उसी समय याचना की स्वामिन् ! दीजिये । महाराज ने स्नान करते ही कहा - क्या लेना चाहते हो ? उसने कहा जहां आप खडे हैं यहीं ही मुझे बेझ़ड(जौ चना) दीजिये । तब जैतरामजी महाराज ने जल से बेझ़ड की अंजली निकाल कर कहा - लो । यह देखकर चारण आश्‍चर्य में पड गया, वह महाराज की कोई करामात ही देखना चाहता था । 
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आज उनकी आशा पूर्ण होगई । फिर महाराज जल से बाहर आये तब वह चरणों में पड कर क्षमा याचना करने लगा । महाराज तो क्षमा मूर्ति ही थे, उन्होंने तो कुछ नहीं कहा । कहा भी है ~
संतन का प्रण हरि रखें, सब दिन सब ही काल । 
दिया जैत ने तुरत ही, सर से अन्न निकाल ॥१०० द्द.त. ७ ॥ 
(क्रमशः)

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