रविवार, 19 अक्टूबर 2025

हमारी रक्षा का प्रबन्ध

*#daduji*
*॥ श्री दादूदयालवे नम: ॥*
*॥ दादूराम~सत्यराम ॥*
*"श्री दादू पंथ परिचय" = रचना = संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान =*
.
७ आचार्य चैनराम जी ~ 
.
हम इसी कार्य के लिये यहां आये हैं और यह काम करके ही यहां से लोटेंगे । यह हमारा द्द़ढ निश्‍चय है । आप हमारी बात मान लेते हैं तब तो ठीक । नहीं मानेंगे तो हम मनाने के लिये सभी उपाय करेंगे, शस्त्रों से भी मनायेंगे किसी भी प्रकार हो आपको वैरागी बनाकर ही जायेंगे । 
.
बालानन्दजी के वचन सुनकर आचार्य चैनरामजी ने कहा - हम निर्गुण निर्गुण पुकारते हैं, यह तो आपका कहना ठीक ही है । किन्तु निर्गुण का पुकारना तो उपनिषद् काल से ही चला आया है । यदि निर्गुण ब्रह्म मिथ्या होता तो उपनिषद् कैसे पुकारते ? 
.
दूसरी वैरागी बनाने की बात आप कह रहे हैं तो अब हम गृहस्थ हैं क्या ? जो आप हमें वैरागी बनायेंगे । वैरागी तो राग रहित को कहते हैं । और राग रहित तो मन ही होता है । माला, तिलक, कंठी से तो वैरागी बनाना कठिन है । माला, तिलक, कंठी तो शरीर पर ही धारण कराओगे, मन पर उनका क्या प्रभाव पडेगा ? 
.
यदि उनका प्रभाव मन पर पडता हो तो फिर माला, तिलक, कंठी वालों का व्यवहार देख सकते हैं कि वे कैसे - कैसे व्यवहार करते हैं । देखने से ऐसा नहीं ज्ञात होता है कि माला, तिलक, कंठी वाले राग द्वैष से रहित हों । प्रत्यक्ष में आप अपने को ही देखिये - आप तो माला, तिलक, कंठी से युक्त हैं, तो भी राग, द्वैष आप में दिखाई दे रहा है । 
.
जो आप परिवर्तन करना चाहते हैं वह भी तो राग द्वैष से ही पूर्ण है । अत: प्रथम आप तो वैरागी बनें फिर हम को बनाना । यह सुनकर बालानन्दजी ने कहा - अच्छा अब देखना हम आपको कैसे वैरागी बनाते हैं । बालानन्दजी का उक्त वचन सुनकर आचार्य चैनरामजी ने कहा - अच्छा है यदि आप हमारा राग निकाल देंगे तो हम आप का उपकार ही मानेंगे । किन्तु राग निकालने की बात करने से राग निकालना अति कठिन है । आप अपना राग नहीं निकाल सके तब हमारा कैसे निकाल सकोगे ? 
.
यह सुनकर बालानन्दजी ने कहा - हम आपको माला, तिलक, कंठी देकर तथा वैरागी बनाकर ही यहां से जायेगें, यह हमारा दृढ निश्‍चय है । हमने यह पहले भी सुना दिया था और अब भी सुना रहे हैं । अब आप अपनी रक्षा करने का प्रबन्ध कर लेना । हम जाते हैं, ऐसा कहकर बालानन्दजी उठ खडे हुये । तब आचार्य चैनरामजी ने कहा - हमारी रक्षा का प्रबन्ध तो जिनका हम भजन करते हैं, वे निर्गुण परब्रह्म ही करेंगे । 
(क्रमशः)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें