रविवार, 26 अक्टूबर 2025

शस्त्रों से सुसज्जित यूथ


*#daduji*
*॥ श्री दादूदयालवे नम: ॥*
*॥ दादूराम~सत्यराम ॥*
*"श्री दादू पंथ परिचय" = रचना = संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान =*
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७ आचार्य चैनराम जी ~ 
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बालानन्दजी आचार्य चैनरामजी के पास से उठकर अपनी छावनी में आये तो वहां आसपास के ग्रामों से अनेक वैरागी साधु आगे मिले । वे बालानन्दजी के आने की प्रतीक्षा में ही बैठे थे । 
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बालानन्दजी के आते ही वे घबराये हुये बालानन्दजी को प्रणाम करके बोले - भगवन् ! आपको अपनी छावनी यहां से शीघ्र ही उठाकर चल देना चाहिये । नहीं जाने से आपके सब साधुओं के प्राण संकट में पड जायेंगे और हमारे ऊपर भी विपत्ति आयेगी ।
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आसपास के सब क्षत्रिय और उनकी प्रजा आप लोगों को घेरने के लिये शीघ्र ही यहां पहुँचेंगी । हम उनमें से ही अलग होकर आये हैं - आप को सूचना देगें । १० - १५ कोस तक के ग्रामों में अति जोश छाया हुआ है । आप नारायणा दादूधाम को वैरागी बनाना तो भूल जायेंगे और इन ग्रामों के वैरागियों को भी खो देंगे । 
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यदि आप दादूद्वारे के आचार्य के विपरित कुछ कर देंगे तो जीवित जाना कठिन है । आप अपने शस्त्रों से कितनों को मारेंगे । वे सब भी शस्त्रों से सुसज्जित होकर आ रहे हैं । उनको यह सूचना मिल चुकी है कि साधु शस्त्र लेकर आये हैं । अत: वे सब खाली हाथों नहीं आ रहे हैं । 
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जिसमें जगमाल के और खंगारोत क्षत्रियों ने तो तलवार खींच - खींच कर प्रतिज्ञायें की हैं कि - दादूद्वारे में परिवर्तन का प्रयत्न किया तो साधु होने पर भी उनको आततायी मानकर मौत के घाट उतारा जायगा । 
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ग्रामों से आये हुये वैरागी साधुओं की बात सुनकर बालानन्दजी के साधु घबरा गये और बोले - या तो छावनी इसी क्षण उखाड कर चलें नहीं तो हम जाते हैं । किसी भी प्रकार हम नहीं रुकेंगे । फिर बालानन्दजी ने सोचा यदि सब साधु चले जाते हैं तो फिर मैं अकेला रहकर तो क्या कर सकता हूँ । 
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इससे बालानन्दजी ने साधुओं की बात मान ली और छावनी उखाडने की आज्ञा दे दी । साधु लोग अपने तंबू, छाते आदि उखाड - २ कर अपने साथ के ऊंट और गाडों में लादकर चल पडे । पीछे से क्षत्रिय वीर और दादूद्वारे की भक्त प्रजा के लोगों के सशस्त्र यूथ एक के पीछे एक दादूद्वारे में आने लगे । 
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तब स्थानीय लोगों से सूचना मिली कि आप लोगों का आना सुनकर वे भाग गये हैं । तब सशस्त्र यूथों ने उनका पीछा किया और एक कोस पर उनको जा पकडा । साधुओं ने देखा कि शस्त्रों से सुसज्जित यूथ एक के पीछे एक आ रहा है । 
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उनके प्रवाह को देखकर बालानन्दजी ने युद्ध नहीं छे़डा और कहा - हम तो साधु लोग हैं, आप लोगों ने हम पर इतना कोप क्यों किया है ? साधु और गायों के क्षत्रिय रक्षक होते हैं । तब खंगारोत क्षत्रियों ने कहा - ठीक है, आप लोग अपने शस्त्र सब पटक दो और तुंबिका पुस्तक लेकर जाओ और दादूद्वारे पर आगे इस प्रकार न आने की प्रतिज्ञा करो । 
(क्रमशः)

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