मंगलवार, 28 अक्टूबर 2025

रसायनी बूंटी

*#daduji*
*॥ श्री दादूदयालवे नम: ॥*
*॥ दादूराम~सत्यराम ॥*
*"श्री दादू पंथ परिचय" = रचना = संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान =*
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७ आचार्य चैनराम जी ~ 
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आचार्य चैनरामजी का दूरदर्शन नारायणा दादूधाम के आचार्य चैनरामजी महान् योगी थे । उनको दूर दर्शन रुप शक्ति प्राप्त थी । यह ‘गुरु पद्धति’ ग्रंथ के ३८ वें प्रकाश से तथा ‘सुन्दरोदय’ के ८ वें तरंग से ज्ञात होता है । वह प्रंसग यहां दिया जाता है । 
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देखिये - एक रामानन्दी वैरागी साधु रसायनी बूटी की प्राप्ति की इच्छा से १२ वर्ष से पर्वतों में भ्रमण कर रहा था । भ्रमण करता करता उत्तर दिशा के पर्वतों में चला गया और एक ऐसे स्थान में पहुँच गया जहां चारों ओर पर्वत ही पर्वत दिखाई देते थे । 
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वहां मानव का दर्शन तो हो ही नहीं रहा था । किन्तु कुछ ही समय में उस वैरागी साधु ने देखा कि एक संत सामने आ रहे थे । उनको देखते ही वैरागी साधु को अति आनन्द का अनुभव हुआ । फिर वैरागी साधु ने उनके पास जाकर उनके चरणों में प्रणाम किया । 
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प्रणाम के पश्‍चात् उस संत ने वैरागी साधु से पूछा - तुम यहां किस लिये आये हो ? वैरागी साधु ने कहा - मेरे मन में रसायन प्राप्ति की अति - अभिलाषा है । रसायन के लिये ही मैं यहां आया हूं । वैरागी साधु की उक्त बात सुनकर उस संत को दया आ गई । 
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उन्होंने वैरागी साधु को वहां पास खडी हुई रसायनी बूंटी बता दी और उसके पत्ते तो़ड कर वैरागी साधु के शरीर पर मसले, उससे उसका बुढापा दूर होकर शरीर युवक हो गया । फिर उस बालयोगी ने वैरागी को एक भस्म देते हुये कहा - यह भस्म तुम अपने पास रखा करो, यह रसायन है ।
(क्रमशः)

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