शुक्रवार, 14 नवंबर 2025

शिवरामजी का भंडारा

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*॥ श्री दादूदयालवे नम: ॥*
*॥ दादूराम~सत्यराम ॥*
*"श्री दादू पंथ परिचय" = रचना = संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान =*
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८ आचार्य निर्भयरामजी
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अलवर नरेश का भंयकर रोग शिवरामदास जी की कृपा से नष्ट हुआ था । राजा ने शिवरामजी का भंडारा किया था और शिवरामदासजी की चादर गोविन्ददासजी को उढाई थी । किन्तु उनके योग - क्षेम का कोई प्रबन्ध नहीं किया था । 
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गोविन्ददासजी जब बसवा आचार्य निर्भयरामजी महाराज के पास गये हुये थे तब अलवर नरेश को सहसा स्मरण आया कि - गोविन्ददासजी का निर्वाह कैसे होता है, इसका पता लगाना चाहिये । फिर राजा ने अपना एक विशेष व्यक्ति गोविन्ददासजी के पास भेजा । 
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किन्तु गोविन्ददासजी स्थान पर नहीं मिले । आसपास के लोगों से पूछा तो ज्ञात हुआ उनका निर्वाह का कोई साधन नहीं हैं, इसीलिये कहीं गये होंगे । उस व्यक्ति ने उक्त बात राजा के पास जाकर सुना दी । तब राजा ने एक व्यक्ति को गोविन्ददासजी के स्थान पर नियुक्त कर दिया - और उसे आज्ञा दे दी कि - गोविन्ददाजी जब आयें तब आते ही उनको मेरे पास ले आओ । 
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गोविन्ददासजी निर्भयराम जी महाराज की आज्ञा से सीधे स्थान पर ही आये । उनके आते ही उक्त पुरुष ने राजा की आज्ञा सुना दी और उनको राजा के पास ले गया । राजा ने उनका अच्छा सत्कार किया और योग - क्षेम के लिये नया गांव बोंलका( हरि कृष्ण पुरा, तहसील राजगढ में) भेंट किया और बाग लगाने के लिये १३ बीघा भूमि और दी । 
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कहा भी है - 
संतों के सु प्रसाद से, होता जीव निहाल ।
निर्भयराम की कृपा से, गोविन्द मालामाल ॥३७॥द्द.त. ११
वि. सं. १८७२ में आसोज सुदी ५ को सम्मान व गांव गोविन्ददासजी को जयपुर राज्य से भी मिले । 
(क्रमशः)



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