रविवार, 9 नवंबर 2025

टीकमदास जी भंडारी के चातुर्मास

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*॥ श्री दादूदयालवे नम: ॥*
*॥ दादूराम~सत्यराम ॥*
*"श्री दादू पंथ परिचय" = रचना = संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान =*
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८ आचार्य निर्भयरामजी
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टीकमदास जी भंडारी के चातुर्मास ~
आचार्य निर्भयराम जी महाराज का वि. सं. १८५३ का चातुर्मास नारायणा दादूधाम के भंडारी टीकमदास जी ने मनाया था । टीकमदास जी निर्भयराम जी महाराज के भक्त थे और गुरु भाई भी थे । 
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निर्भयराम जी महाराज १०० मूर्तियों के साथ टीकमदासजी भंडारी के चातुर्मास में विराजे थे । इस चातुर्मास में श्री दादूवाणी के सुन्दर प्रवचन, जागरण, कीर्तन आदि पारमार्थिक कार्य बहुत ही सुन्दर रुप से हुये थे । टीकमदास जी ने आचार्य जी के भेंट रु. ११०१) किया था । 
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जयपुर नरेश की रसोई ~
वि. सं. १८५५ से पूर्व जयपुर राज्य की नारायणा दादूधाम के मेले की रसोई का प्रबन्ध जयपुर राज से ही हुआ करता था । जो भी खर्च लगता था वह राज की तरफ से ही लगता था किन्तु इस वर्ष रसोई के ७५० झाडशाही रुपये बांध दिय गये । 
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नवाई के महन्त संतोषदासजी जयपुराधीश की तरफ से लाये थे । इसी वर्ष के मेले में आचार्य निर्भयरामजी महाराज ने अपने बडे शिष्य जीवन दास जी को अपने उत्तराधिकारी के पद पर नियुक्त कर दिया और पूजा भी बांट दी ।
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जयपुर चातुर्मास
वि. सं. १८५६ में आचार्य निर्भयराम जी महाराज चातुर्मास करने के लिये जयपुर पधारे । जयपुर राज्य की ओर से पेशवाई के वास्ते स्वरुपचन्द दारोगा ड्यो़ढी लवाजमा, हाथी, निशान अर्वीबाजा घोडा, नक्कारा आदि लेकर आये । 
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मोती डूंगरी से लेकर रुई की मंडी में सहजरामजी के अस्थल तक पहुँचा दिये । सहजरामजी मसकीनदासोत थे, उनका अस्थल वर्तमान उदयपुर जमात वालों की हवेली के सामने था । फिर श्रीमती महाराणी जी की तरफ से १ मोहर ५) रु. भेंट के आये ।
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जयपुर के साधुओं की ओर से रसोइयां भेंट होती रही । फिर मिति भादवा बदी ७ को महाराज कुमार दर्शन करने आये । २ मोहर भेंट की । तब आचार्य निर्भयराम जी महाराज ने महाराज कुमार को युवराज पदवी का एक दुपट्टा उढाया और प्रसाद दिया । 
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फिर महाराज निर्भयराम जी ने ४३ मोहर और ४०००) रु. की कीमत से मेडता में मकान और मंदिर बनाया । निर्भयराम जी महाराज प्राप्त धन को रोक कर नहीं रखते थे । वे दादू जी महाराज के निम्न वचन को स्मरण रखते थे । इससे जो आता था उसे खर्च कर देते थे । 
(क्रमशः)  

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