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*॥ श्री दादूदयालवे नम: ॥*
*॥ श्री दादूदयालवे नम: ॥*
*॥ दादूराम~सत्यराम ॥*
*"श्री दादू पंथ परिचय" = रचना = संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान =*
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१० आचार्य दिलेराम जी
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बूंदी गमन ~
उक्त प्रकार रामत द्वारा ब्रह्मभक्ति का प्रचार करते - करते आचार्य दिलेरामजी महाराज शिष्य मंडल के सहित बूंदी नगर के आसपास के ग्रामों में पहुँचे, तब बूंदी नरेश को ज्ञात हुआ कि - नारायणा दादूधाम के आचार्य दिलेरामजी महाराज अपने शिष्य मंडल के सहित बूंदी के आसपास के ग्रामों में ब्रह्मभक्ति का उपदेश करके प्रणियों को कल्याण मार्ग में प्रवृत कर रहे हैं ।
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तब बूंदी नरेश ने आचार्य दिलेरामजी को बूंदी पधारने का निमंत्रण भेजा । आचार्यजी ने निमंत्रण स्वीकार कर लिया । फिर बूंदी पधारे और अपनी मर्यादा के अनुसार नगर के बाहर ठहर कर राजा को अपने आने की सूचना दी ।
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सूचना मिलते ही बूंदी नरेश बिशनसिंह जी राजकीय लवाजमा के साथ बडे ठाटबाट से अपनी धार्मिक प्रजा के सहित संकीर्तन करते हुये आचार्य दिलेरामजी की अगवानी करने के लिये आये और अपनी कुल परंपरा अनुसार आचार्य को भेंट चढाकर प्रजा के सहित नरेश ने प्रणाम किया ।
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फिर उचित प्रश्नोत्तर होने के पश्चात् आचार्य जी को हाथी पर विराजमान कराके संकीर्तन करते हुये नगर के मुख्य - मुख्य भागों से जनता को आचार्य जी तथा संत मंडल का दर्शन कराते हुये ले गये । एक सुन्दर और एकान्त स्थान में ठहराया और संत सेवा का प्रबन्ध सुचारु रुप से करा दिया गया ।
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फिर एक दिन नरेश सुवर्ण मुद्रा चढाकर गुरु उपदेश आचार्य दिलेरामजी महाराज से ग्रहण किया और जब तक बूंदी में रहे तब तक राजा प्रजा ने प्रेम सहित सत्संग किया । जब आचार्य जी की बूंदी से अन्य स्थान को जाने की इच्छा हुई तब अति आदर सत्कार से राजा प्रजा ने सप्रेम भेंटें चढाकर आचार्य जी को विदा किया ।
(क्रमशः)

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