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*॥ श्री दादूदयालवे नम: ॥*
*॥ श्री दादूदयालवे नम: ॥*
*॥ दादूराम~सत्यराम ॥*
*"श्री दादू पंथ परिचय" = रचना = संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान =*
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१० आचार्य दिलेराम जी
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चावा का वास बक्शीश ~
दिलेराम जी महाराज के पूर्व के आचार्यों तक अलवर नरेश की ओर से १५०) रु. मासिक दादूद्वारे के संतों के भोजनार्थ आते थे । आचार्य दिलेरामजी महाराज के बैठने के दूसरे वर्ष में अलवर नरेश ने अपने गुप्तचर से पता लगवाया कि दादूद्वारे नारायणा में भंडार का मासिक खर्च कितना होता है ।
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उसने आकर देखा और ठीक पता लगाकर अनुमान करके जाकर कहा - वहां तो बहुत से संत निवास करते हैं और सब भजनानन्दी तथा दादूवाणी के विचार में ही लगे रहते हैं । तब अलवर नरेश ने १५०) रु. मासिक तो बन्द कर दिया....
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और वि. सं. १८७८ फाल्गुण शुक्ला ३ को भंडार खर्च के लिये चावा का वास बक्शीश करने का पट्टा राज्य की ओर से कराकर तथा उस पर राज्य को मोहर लगाकर उस पत्र को बन्द कर दिया और अपने कर्मचारी द्वारा नारायणा दादूधाम के भंडारी के पास भेज दिया गया । तब से उस ग्राम की आय भंडारी खर्च में लगने लगी ।
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शेखावटी, राजावाटी रामत ~
वि. सं. १८७९ में आचार्य दिलेरामजी महाराज ने शिष्य मंडल के आग्रह से ब्रह्म भक्ति का प्रचार करने के लिये शेखावटी और राजावाटी प्रदेशों की रामत की । इस रामत में स्थान - स्थान पर श्रीदादूवाणी के उपदेशों द्वारा धार्मिक जनता को निर्गुण परब्रह्म की भक्ति में लगाया । निज समाज के स्थानधारी साधुओं ने तथा उदार हृदय धनी मानी गृहस्थ सज्जनों ने शिष्य मंडल के सहित आचार्य दिलेरामजी महाराज का बहुत स्वागत समादर किया ।
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साथ के विद्वान संतों के वचनामृत तथा गायक संतों द्वारा संतों के पदों को सुनकर धार्मिक जनता ने अपने को कृतार्थ समझा । इस रामत में ग्रामों की जनता ने सप्रेम सत्संग में भाग लिया था इससे शिष्य मंडल के सहित आचार्यजी को भी बहुत प्रसन्नता हुई थी और धार्मिक जनता ने अपूर्व आनन्द का अनुभव किया था ।
(क्रमशः)

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