🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏 *卐 सत्यराम सा 卐* 🙏🌷
*महात्मा कविवर श्री सुन्दरदास जी, साखी ग्रंथ*
.
*१४. दुष्ट को अंग २०/२२*
.
सुन्दर झंपापात ले, करवत धरिये सीस ।
वा दुर्जन के संग तें, राखि राखि जगदीस ॥२०॥
सुन्दरदासजी भगवान् से प्रार्थना करते हैं - मुझे पर्वत की चोटी से गिरना या करवत(आरा) से अपना शिर कटवा लेना स्वीकार है; परन्तु हे प्रभो ! मुझे किसी दुर्जन की संगति में जाने से सदा बचाये रखें ॥२०॥
.
सुन्दर बिष हू पीजिये, मरिये खाइ अफीम ।
दुर्जन संग न कीजिये, गलि मरिये पुनि हीम ॥२१॥
विष या अफीम खा कर मर जाइये, या बर्फ में गल कर मर जाइये; परन्तु दुष्ट का सङ्ग कभी न कीजिये – यहीं श्रीसुन्दरदासजी महाराज का साधुजनों को शुभ परामर्श है ॥२१॥
.
सुन्दर दुख सब तोलिये, घालि तराजू मांहिं ।
जो दुख दुर्जन संग तें, ता सम कोई नांहिं ॥२२॥
उन का कहना है कि तराजू के एक पलड़े पर संसार के सब दुःख रख दीजिये और दूसरे पलड़े पर दुर्जन की सङ्गति रख दीजिये; मेरी समझ से यह दुर्जन की सङ्गति ही उन सब दुःखों से भारी पड़ेगी ॥२२॥
(क्रमशः)

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें