सोमवार, 15 दिसंबर 2025

वाणी प्रचार ~

*#daduji*
*॥ श्री दादूदयालवे नम: ॥*
*॥ दादूराम~सत्यराम ॥*
*"श्री दादू पंथ परिचय" = रचना = संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान =*
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१० आचार्य दिलेराम जी
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वाणी प्रचार ~
आचार्य दिलेरामजी महाराज प्रतिवर्ष ही भक्तों की प्रार्थना से रामत करते हुये श्री दादूवाणी का प्रचार ही करते थे । भ्रमण में अधिकतर दादूवाणी का ही प्रवचन हुआ करता था । चातुर्मास जहां जाते थे वहां भी प्रात: काल तो नियम से ही श्रीदादू वाणी की कथा होती थे । 
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मध्य दिन में अन्य ग्रंथों के प्रवचन भी होते थे किन्तु मुख्यत: वाणी प्रचार ही किया जाता था । अलवर राज्य के पास आप चले जाते थे, तब ही अलवर नरेश दर्शन करने आते थे और स्वर्ण मुद्रा चढाकर प्रणाम करते थे और बहुत स्वागत करते थे । आचार्य दिलेरामजी महाराज वाणी प्रचार का उद्देश्य लेकर ही भ्रमण करते थे । 
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अलवर पधारना ~ 
वि. सं. पौष शुक्ला १३ को अलवर नरेश के निर्माण देकर बुलाने  पर आचार्य दिलेरामजी महाराज अपने शिष्य मंडल के सहित अलवर पधारे थे । इसी वर्ष अलवर नरेश के पुत्र भी हुआ था । हो सकता है इसीलिये बुलाया हो । अलवर नरेश को अपने आने की सूचना भेजी । 
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सूचना मिलते ही अलवर नरेश अपने राजकीय स्वागत सत्कार के साधनों को लेकर सामन्तों तथा भक्त जनता के साथ वाद्य बजाते संकीर्तन करते हुये आचार्य जी की अगवानी करने गये । अपनी कुल परंपरा के अनुसार भेंट चढाकर प्रणाम किया । 
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आवश्यक प्रश्‍नोत्तरों के पश्‍चात् आचार्यजी की हाथी पर बैठा कर बाजे गाजे के साथ ठाट बाट से संकीर्तन करते हुये नगर के मुख्य - मुख्य भागों से जनता को आचार्यजी तथा संत मंडल का दर्शन कराते हुये नियत स्थान पर ले जाकर ठहराया । सेवा की व्यवस्था सुचारु रुप से कर दी गई । 
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प्रतिदिन नियत समयों पर सत्संग होने लगा । प्रात: दादूवाणी की कथा, मध्यदिन में विद्वान् संतों के भाषण, सायंकाल आरती संकीर्तन । राजा तथा प्रजा ने सत्संग में अच्छा भाग लिया । अलवर नरेश जब भी आने थे तब आचार्यजी के सामने साधारण आसन पर बैठकर भाषण सुनते थे । 
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नियत समय तक ठहर कर आचार्यजी जाने लगे तब अलवर नरेश ने आने जाने का सब खर्च देकर अपनी कुल परंपरा के अनुसार आचार्यजी को सप्रेम भेंट की और संत मंडल का भी अच्छा सम्मान किया । फिर अति सम्मान के सहित राजा तथा धार्मिक जनता ने आचार्यजी को विदा किया ।
(क्रमशः) 

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