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*॥ श्री दादूदयालवे नम: ॥*
*॥ श्री दादूदयालवे नम: ॥*
*॥ दादूराम~सत्यराम ॥*
*"श्री दादू पंथ परिचय" = रचना = संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान =*
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११ आचार्य प्रेमदासजी ~
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कोटा चातुर्मास ~
वि. सं. १८९९ में आचार्य प्रेमदासजी महाराज ने काठेड़ा की रामत की । स्थान - स्थान पर सत्संग द्वारा धार्मिक जनता को लाभ पहुँचाते हुये सवाईमाधोपुर पधारे । सवाईमाधोपुर की जनता ने आपका अच्छा स्वागत किया । सत्संग और संत सेवा भी अति रुचि से की ।
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सवाईमाधोपुर से आप स्थान - स्थान पर दादूवाणी के प्रचार सत्संग द्वारा मार्ग की धार्मिक जनता को आनन्दित करते हुये शनै: शनै: कोटा पधारे । कोटा नगर में प्रवेश से पूर्व अपनी मर्यादा के अनुसार कोटा नरेश को अपने आने की सूचना दी । तब कोटा नरेश ने अपनी कुल परंपरा के अनुसार राजकीय लवाजमा से आपकी अगवानी की और अपनी मर्यादा के अनुसार भेंट चढाई । फिर वहां ही अनुभवदास, नागौरदासजी के चातुर्मास किया ।
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चातुर्मासिक सत्संग सदा की भांति बहुत अच्छा हुआ । कोटा की धार्मिक जनता ने सत्संग व संत - सेवा में बहुत अच्छा भाग लिया । चातुर्मास समाप्ति पर अनुभवदासजी व नागौरीदासजी ने आचार्यजी को मर्यादा अनुसार भेंट तथा सब संतों को वस्त्र दिये । उक्त प्रकार सब को संतुष्ट कर अति आनन्द के सहित विदा किया । कोटा से विदा होकर शनै: शनै भगवद्भक्ति का प्रचार करते हुये नारायणा दादूधाम में पधारे ।
(क्रमशः)

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