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*॥ श्री दादूदयालवे नम: ॥*
*॥ श्री दादूदयालवे नम: ॥*
*॥ दादूराम~सत्यराम ॥*
*"श्री दादू पंथ परिचय" = रचना = संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान =*
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१० आचार्य दिलेराम जी
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घरट आदि का निर्माण ~
सेठ ज्वाला प्रसाद ने जो धन भेंट किया था, उससे घरट और अन्य कई भवनों का तथा भंडार का निर्माण आचार्य दिलेरामजी महाराज ने करवाया । संत समुदाय तथा भक्तों का अधिक आवागमन होने कारण आटा अधिक लगता था और सदाव्रत में भी बांटा जाता था, इससे आटा पीसने के लिये घरट की आवश्यकता हो रही थी ।
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और संतों के निवास के लिये भवनों की आवश्यकता हो रही थी । खीचडा कूटने के लिये भी ऐसे ऊंखल मूसल की भी बहुत आवश्यकता थी जो थोडे समय में बहुत कूट सके । उक्त सभी आवश्यकताओं को आचार्य दिलेरामजी ने पूर्ण किया था ।
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विशाल दादू मंदिर का निर्माण ~
जन समुदाय बहुत आता था मंदिर बहुत छोटा था । अत: आचार्य दिलेराम जी की इच्छा होती थी कि - मंदिर विशाल होना चाहिये । यही विचार सेवक लोग भी पहले से ही कर रहे थे कि अब मंदिर विशाल बनवाना ही चाहिये । किन्तु बातें ही चल रही थी, बनवाने की योजना अभी नहीं बनी थी ।
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इन्हीं दिनों में पटियाला(पंजाब) के महात्मा ठंडेरामजी के हृदय में नारायणा में विशाल दादू मंदिर बनवाने के लिये प्रभु ने प्रेरणा की । फिर उन्होंने आचार्य दिलेरामजी से मिलकर उनको कहा - मेरे हृदय में प्रभु की प्रेरणा हो रही है कि - नारायणा दादूधाम में दादूदयाल जी महाराज का विशाल मंदिर बनवाया जाय ।
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महात्मा ठंडेराम जी का उक्त वचन सुनकर आचार्य दिलेराम जी ने कहा - अवश्य बनवाइये, रामजी की ऐसी ही आज्ञा है । फिर भवन निर्माण कला में कुशल कारीगरों से परामर्श करके मंदिर का नक्शा बनवाया गया । मकराणा के पत्थर के लिये आचार्य दिलेरामजी ने अपने एक भंडारी जी को पत्र देकर जोधपुर भेजा ।
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पत्र में लिखा था - श्रीमान् जोधपुर नरेश को नारायणा दादूधाम के आचार्य दिलेराम का सत्यराम शुभाशीर्वाद । आपके पास भंडारी जी को इसलिये भेजा गया है कि नारायणा दादूधाम में दादूदयाल जी महाराज का विशाल मंदिर बनवाने की योजना है । अत: आपके राज्य के मकराणे का पत्थर मंदिर के लिये आपसे चाहते हैं । आपका शुभचिन्तक आचार्य दिलेराम ।
(क्रमशः)

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