शनिवार, 13 दिसंबर 2025

महाकडाव निर्माण ~

*#daduji*
*॥ श्री दादूदयालवे नम: ॥*
*॥ दादूराम~सत्यराम ॥*
*"श्री दादू पंथ परिचय" = रचना = संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान =*
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१० आचार्य दिलेराम जी
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महाकडाव निर्माण ~ 
उक्त प्रकार नारायणा दादूधाम में विशाल मंदिर का निर्माण कार्य संपन्न हुआ । मंदिर के लिये जो धन ठंडेरामजी पटियाला वालों(पंजाब) ने दिया था उसमें से कुछ बच गया था । उससे भंडारी अखैरामजी ने नागौर में लोहे का एक विशाल कडाव बनवाया । कारण उस समय संत संख्या बहुत थी इस लिए बडे बर्तन की आवश्यकता थी । 
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उक्त कडाव जब बन गया तब उसको नारायणा दादूधाम में पहुँचाने की व्यवस्था जोधपुर नरेश ने की थी । उसके लिये एक बडा छकडा बनवाकर प्रत्येक ग्राम से बेगार में बैलों को बदलते हुये नारायणा दादूधाम में पहुँचाया । जो आज भी दादू मंदिर के पीछे है जहां पंक्ति लगती है । 
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उसमें से छत्रियों को जाने वाले मार्ग के पास दक्षिण की ओर ऊंधा पडा है । इस समय वह काम नहीं आता है । केवल रुप में रखा है । दो कडाव बनाये थे ऐसा भी मैंने एक पत्र में लिखा देखा है । हो सकता है दूसरा बडे कडाव से छोटा होगा और काम में आता होगा ।  
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मंदिर में वाणी प्रतिष्ठा व सत्संग ~
उक्त मंदिर बन जाने पर उसमें दादूजी की वाणी जो दादूपंथी समाज में दादूजी का स्वरुप ही माना जाता है । उसकी सविधि प्रतिष्ठा  समाज ने मिलकर की । इस मंदिर में प्रात: पूजा सामग्री से श्री दादूवाणी की पूजा होती है । पश्‍चात् आचार्यजी नारायणा दादूधाम में होते हैं तब दादूवाणी की कथा होती है । 
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कथा में आचार्यजी पधारते हैं । कथा आचार्य जी या अन्य कोई विद्वान संत करते हैं । कथा के पश्‍चात् संतों के पद गाये जाते हैं फिर प्रसाद वितरण करके सत्संग सभा समाप्त कर दी जाती है । कथा से उठकर आचार्य जी विशेष व्यक्तियों के साथ मंदिर से खेजडा जी के दर्शन करने जाते हैं । 
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फिर मंदिर की परिक्रमा करते हुये आचार्यों की स्मारक छत्रियों के दर्शन करने जाते हैं पश्‍चात् अपनी बारहदरी में पधार जाते हैं । मंदिर में सायंकाल आरती गाई जाती है । उस समय पहली एक आरती दादूजी की रचित और दूसरी किसी अन्य संत की गाई जाती है । 
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आरती में आचार्य जी पधारते हैं । आरती गायन के पश्‍चात् आचार्य जी अपनी बारहदरी में पधार जाते हैं । अन्य संत मंदिर में सुन्दरदासजी के रचित अष्टक गाते हैं पश्‍चात् अन्य स्तोत्र भी विभिन्न संतों के रचित गाते हैं । फिर आरती समाप्त कर परस्पर सत्यराम प्रणाम करते हुये आचार्य जी को दंडवत प्रणाम करने जाते हैं तथा अन्य पूज्य संतों को भी प्रणाम करने जाते हैं । 
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उक्त प्रकार नारायणा दादूधाम का सामूहिक दैनिक साधारण साधन क्रम हैं । इसका निर्वाह आचार्य जी के सहित संत महन्त सद्गृहस्थ जो दादूद्वारे में होते हैं वे सभी सप्रेम प्रतिदिन करते हैं ।  
(क्रमशः) 

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