सोमवार, 15 अप्रैल 2019

= सुन्दर पदावली(१९.राग बसंत - ३/१) =

#daduji

॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥ 
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली* 
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी, 
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान) 
.
*ऐसौ बाग कियौ हरि अलष राइ ।* 
*कछु अद‍भुत रचना कही न जाइ ॥(टेक)* 
*यह पंच तत्व कौ सघन बाग,*
*मूल बिना तरु सरस लाग ।* 
*बहु बिधि बिरवा रहे फूलि,*
*जो देषै सो जाइ भूलि ॥१॥* 
*यह बारा मास फलै सुफाल,*
*तहां पंषी बोलैं डाल डाल ।* 
*जब यह आवै ॠतु बसंत,*
*ये तब सुष पांवैं सकल जंत ॥२॥* 
संसार रूप उद्यान का वर्णन : 
उस अलख प्रभु ने ऐसा आश्चर्यमय उद्यान(बाग) लगाया है कि उसकी अद्भुतता का वर्णन नहीं हो सकता ॥टेक॥ 
यह पञ्च तत्त्व से निर्मित ऐसा सघन बगीचा है कि जिसमें बिना मूल(जड़) के वृक्ष भी ऐसे ही भरे हैं कि उनकी शोभा का वर्णन नहीं हो सकता । उन्हें जो देखता है उसे संसार की सभी वस्तुएँ विस्मृत हो जाती हैं ॥१॥ 
यह उद्यान बारह माह फला फुला रहता है । इस उद्यान में प्रत्येक शाखा पर विविध पक्षी कलरव करते रहते हैं । जब इस पर वसन्त ऋतू का प्रभाव पड़ता है तो सभी प्राणी सुख मानते हैं ॥२॥
(क्रमशः)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें