रविवार, 14 जुलाई 2019

= सुन्दर पदावली(२४. राग काफी - ९/१) =

#daduji

॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥ 
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली* 
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी, 
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान) 
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*पीव हमारा, मोहि पियारा,* 
*कब देषौंगी मेरा प्रान अधारा ॥(टेक)* 
*ये सषी इहै अंदेसा, पायौ न संदेसा ।* 
*काहे तैं बिरमि रहे परदेसा ॥१॥* 
*ये सषि फिरौं उदासा, भूष न प्यासा ।* 
*कब पुरबैंगे मेरे मन की आसा ॥२॥* 
ओ मेरे प्रिय ! मैं आपके दर्शन कब कर पाऊँगी ? क्योंकि आप तो मेरे प्राणाधार हैं ॥टेक॥ 
अब तक आपका कोई सन्देश न मिलने के कारण हे सखि ! मुझ को भी यही सन्देह हो रहा है कि आप विदेश में ही कहीं उलझ तो नहीं गये ॥१॥ 
हे सखि ! मुझे आपका यह विरह वियोग सता रहा है । इसके कारण मुझे निद्रा भी नहीं आती । किसी न किसी प्रकार, करवट ले लेकर अपनी रात बिताती हूँ ॥२॥
(क्रमशः)

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