मंगलवार, 9 जुलाई 2019

= सुन्दर पदावली(२४. राग काफी - ७/१) =

#daduji

॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥ 
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली* 
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी, 
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान) 
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*बहुतक दिवस भये मेरे सम्रथ सांईया ।* 
*कोऊ कागर हू न पठाइ संदेस सुनांईया ॥(टेक)* 
*पंथ निहारत जाइ उपाइ किये घने ।* 
*मोहि असन बसन न सुहाइ तजे सुख आपने ॥१॥* 
*कल न परत पल एक नहीं जक जीयरा ।* 
*यह सुकि गई सब देह भया मुख पीयरा ॥२॥* 
हे मेरे समर्थ स्वामिन् ! बहुत दिन हो गये, आपने कोई चिट्ठी पत्री भी न हीं दी कि हम को उधर का कोई सन्देश मिलता ॥टेक॥ 
आपके आगमन की प्रतीक्षा करते हुए, आपका समाचार पाने के लिए मैंने अनेक उपाय किये । आज मुझे, आपके बिना न भोजन प्रिय लगता है न वस्त्र मैंने आपके वियोग में अपने सभी शारीरिक सुख छोड़ दिये हैं ॥१॥ 
आपके बिना मैं अपने सब सुख चैन भूल गया हूँ । मेरी यह समस्त देह आपके वियोग में शुष्क हो गयी है । मेरी आकृति पीली हो गयी है ॥२॥
(क्रमशः)

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